iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि रबी सीजन की एक महत्वपूर्ण फसल-मसूर का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष से कुछ पीछे हो गया है लेकिन प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में मौसम की हालत अनुकूल होने से इसकी औसत उपज दर बेहतर रहने के आसार हैं जिससे इसके कुल उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
शीर्ष व्यापारिक संस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार दोनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में मौसम की हालत मसूर की फसल के लिए काफी हद तक अनुकूल बनी हुई है।
पौधों के विकास के लिए दिसम्बर-जनवरी का मौसम अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। खेतों की मिटटी में अभी नमी का पर्याप्त अंश मौजूद है और यदि आगे मौसम अनुकूल रहा तो इसके बेहतर उत्पादन की उम्मीद की जा सकती है।
इपगा के चेयरमैन बिमल कोठारी ने 2023-24 सीजन के दौरान मसूर का घरेलू उत्पादन बढ़कर 16.50-17.00 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है।
एक अन्य विश्लेषक के मुताबिक अधिकांश उत्पादक इलाकों में फसल की हालत काफी अच्छी है और इसकी उपज दर में सुधार आने के आसार हैं जिससे मसूर का कुल उत्पादन इस बार 5 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। मसूर का कुल उत्पादन 16.50 लाख टन के आसपास होने की उम्मीद है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार चालू रबी सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर मसूर का बिजाई क्षेत्र 15 दिसम्बर तक 16.75 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया जो गत वर्ष की समान अवधि के क्षेत्रफल 16.84 लाख हेक्टेयर से 9 हजार हेक्टेयर कम था। मसूर का कुल रकबा इस वर्ष 18.50-19.00 लाख हेक्टेयर रहने के आसार हैं जो पिछले साल के लगभग बराबर है।
किसानों को मसूर का लाभप्रद मूल्य हासिल हुआ है और सरकार ने इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी अच्छी बढ़ोत्तरी की है। उत्पादकों के प्रोत्साहन का तमाम आधार मौजूद है इसलिए वे मसूर की खेती में अच्छी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
सरकार ने मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2022-23 के 6000 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2023-24 सीजन के लिए 6425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।
वर्तमान समय में इसका बाजार भाव 5800-5900 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है। नई फसल की कटाई-तैयारी में तीन माह से अधिक की देर है और विदेशों से आयात भी जारी है।
सरकार के पास करीब 6.50 लाख टन मसूर का स्टॉक मौजूद है। गत वर्ष 1.50 लाख टन मसूर की सरकारी खरीद हुई थी।