iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । अक्टूबर की भांति नवम्बर में भी देश का 26 प्रतिशत भाग सूखे की चपेट में फंस रहा। नवम्बर वर्ष का 11 वां महीना होता है। इस बार यह सर्वाधिक गर्म महीना साबित हुआ।
अमरीका और यूरोपीय संघ की मौसम एजेंसियों ने कहा है कि भारत में जनवरी से नवम्बर 2023 का समय भी अब तक सबसे गर्म आंका गया।
इंडिया ड्राइड मॉनिटर पर भारत के उत्तरी, पूर्वी एवं तटीय दक्षिण-पश्चिमी भागों में सूखे जैसी, स्थिति की पुष्टि की गई है। कुल मिलाकर देश का 26.4 प्रतिशत भाग इस सूखे के दायरे में शामिल है।
अक्टूबर में भी इतने क्षेत्रों में सूखे जैसा माहौल रहा था। राहत की बात यह रही कि नवम्बर में सूखाग्रस्त इलाकों का दायरा नहीं बढ़ा क्योंकि उत्तर-पूर्व मानसून की सक्रियता से देश के दक्षिणी राज्यों में अच्छी वर्षा हो गई।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा देश के जिन 113 जिलों में से आंकड़ा लिया जाता है उसमें से 63 प्रतिशत जिलों में अक्टूबर में बारिश का अभाव रहा था जबकि नवम्बर में 43 प्रतिशत जिलों में वर्षा की कमी दर्ज की गई।
अमरीकी मौसम एजेंसी के अनुसार अल नीनो मौसम चक्र के कारण अक्सर एशिया महाद्वीप में शुष्क मौसम की अवधि लम्बी होती है और अनेक इलाके सूखे की चपेट में फंस जाते हैं।
इस मौसम चक्र से उत्तरी एवं दक्षिणी अमरीका महाद्वीप, अफ्रीका, यूरोप, दक्षिण एशिया तथा ऑस्ट्रेलिया के कई भागों में कृषि फसलों पर सर्वाधिक खतरा रहता है।
भारत में अल नीनो ने दक्षिण-पश्चिम मानसून को प्रभावित किया और बारिश कम होने से खरीफ फसलों के उत्पादन पर असर पड़ा। रबी फसलों पर इसका प्रभाव बाद में सामने आएगा।
वैसे पिछले साल की तुलना में इस बार रबी फसलों का बिजाई क्षेत्र 3 प्रतिशत घट गया है। एक संस्था की रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यवर्ती एवं दक्षिणी अमरीका, दक्षिण-पूर्व एशिया तथा अफ्रीका के अधिकांश भाग में खाद्य सुरक्षा का संकट बढ़ता जा रहा है।
भारत से खाद्यान्न के निर्यात में भारी गिरावट आई है जबकि अन्य निर्यातक देशों में भी उत्पादन एवं स्टॉक घटने के संकेत मिल रहे हैं।
रबी फसलों के बेहतर विकास के लिए भारत में जनवरी-मार्च के दौरान मौसम का अनुकूल रहना अत्यन्त आवश्यक है। खरीफ उत्पादन में आई गिरावट की भरपाई रबी उत्पादन में वृद्धि से ही हो सकती है।