iGrain India - मुम्बई । लाल सागर (रेड सी) के जल मार्ग से भारतीय उत्पादन और खासकर बासमती चावल का निर्यात कारोबार बड़े पैमाने पर होता है लेकिन इस जल मार्ग पर यमन के हूती समूह के लुटेरों द्वारा मालवाहक समुद्री जहाजों (वेसेल्स) पर हमला किए जाने से यह रास्ता असुरक्षित हो गया है।
इसके फलस्वरूप भारतीय निर्यातकों को वैकल्पिक मार्गों की तलाश करनी पड़ सकती है जो ज्यादा लम्बा और खर्चीला साबित हो सकता है।
निर्यातकों के अनुसार इसके फलस्वरूप निर्यात खर्च (शिपिंग कॉस्ट) में 25 प्रतिशत तक का भारी इजाफा हो सकता है जबकि बीमा के प्रीमियम में भी बढ़ोत्तरी हो जाएगी।
यदि लम्बे समय तक लाल सागर क्षेत्र में जहाजों का आवागमन बाधित और प्रभावित हुआ तो भारतीय उत्पादों के निर्यात कारोबार पर गहरा प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
इसी तरह ईरान द्वारा समर्थित विद्रोहियों के लगातार हमले के कारण इस जलमार्ग से भारत में खासकर पूंजीगत सामानों एवं कच्चे माल का आयात भी प्रभावित होने की आशंका है जिससे बड़ी-बड़ी कंपनियों की कठिनाई बढ़ सकती है जो लगातार देश में निवेश बढ़ा रही है।
एक अग्रणी विश्लेषक का कहना है कि भारत में महंगाई की दर पहले से ही काफी ऊंची है। यदि लाल सागर क्षेत्र से आयात-निर्यात प्रभावित हुआ तो महंगाई में और भी इजाफा हो सकता है जिससे आम लोगों के साथ-साथ सरकार की परेशानी भी बढ़ सकती है।
इतना ही नहीं बल्कि महंगाई बढ़ने पर भारतीय रिजर्व बैंक को भी मौद्रिक नीति पर कोई सार्थक निर्णय लेने से असुविधा होगी।
भारत के लिए यह स्थिति अत्यन्त प्रतिकूल साबित हो सकती है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के आरंभिक आठ महीनों में से छह महीनों के दौरान भारत से वाणिज्यिक निर्यात में गिरावट दर्ज की गई जबकि वर्ष 2023 के दौरान निर्यात मूल्य में भी 5 प्रतिशत की कमी आ गई।
ध्यान देने की बात है कि भारत से एशिया, उत्तरी अमरीका, अफ्रीका तथा यूरोप महाद्वीप के कुछ खास देशों को स्वेज नहर के जलमार्ग से ही सामानों का निर्यात किया जाता है
मगर वहां हूती समूहों के आतंक को देखते हुए अब 'कैप ऑफ, गुड होप' का लम्बा रास्ता अपनाना पड़ सकता है जिससे शिपमेंट की समयावधि 12-14 दिनों तक बढ़ जाएगी। आयातकों ने भारतीय निर्यातकों से शिपमेंट रोकने के लिए कहना शुरू कर दिया है क्योंकि मौजूदा रूट पर खतरा बढ़ गया है।