iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि भारत और बांग्ला देश के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) के लिए बातचीत प्रस्तावित है लेकिन यदि बांग्ला देश चीन द्वारा समर्थित रीजनल कम्प्रीहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आर सेप) ब्लॉक में शामिल होने की इच्छा के साथ आगे बढ़ता है तो भारत उसके साथ बातचीत करने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर सकता है।
जानकार सूत्रों के अनुसार वाणिज्य विभाग ने आरसेप में बांग्ला देश के संभावित प्रवेश के प्रभाव का आंकलन करने का प्लान बनाया है। भारतीय उद्योग पर बांग्ला देश के कदम का असर पड़ सकता है।
इसका मूल्यांकन करने के बाद ही मुक्त व्यापार समझौता पर विचार-विमर्श करने का निर्णय लिया जा सकता है। बांग्ला देश ने आर सेप में शामिल होने की इच्छा जताई है और इस आशय की खबर भी आई है।
अगले साल के आरंभ में आम चुनाव समाप्त होने के बाद इसका निर्णय लिया जा सकता है। इससे भारत की चिंता बढ़ गई है और भारत सरकार सतर्कता दिखाना चाहती है।
इसका कारण यह है कि बांग्ला देश पहले से ही चीन से विशाल मात्रा में वस्तुओं का आयात कर रहा है जबकि उसके मुकाबले भारत से उसका आयात और भी बढ़ जाएगा। बांग्ला देश आरसेप में शामिल हो गया तो वहां चीन के सामानों का आयात और भी बढ़ जाएगा।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार ऐसी हालत में यदि दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता हुआ तो बांग्ला देश के रास्ते भारत में चाइनीज सामानों की आपूर्ति का प्रवाह तेजी से बढ़ने का खतरा बना रहेगा जो भारतीय उद्योगों के लिए काफी नुकसान दायक साबित हो सकता है।
मुक्त व्यापार संधि के तहत आमतौर पर दो देश एक-दूसरे के उत्पादों पर आयात शुल्क नहीं या नगण्य लगाते हैं। चाइनीज सामानों की क्वालिटी अच्छी नहीं होती है मगर उसका दाम आकर्षक होता है। यदि भारत में बांग्ला देश से सस्ते चाइनीज उत्पादों की आवक बढ़ेगी तो स्वदेशी उद्योग स्वाभाविक रूप से संकट में फंस जाएगा।