iGrain India - सिंगापुर (भारती एग्री एप्प)। वर्ष 2024 में पाम तेल के वैश्विक बाजार मूल्य में कुछ सुधार आने के आसार हैं क्योंकि एक तो दोनों शीर्ष उत्पादक देशों- इंडोनेशिया एवं मलेशिया में क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का उत्पादन काफी हद तक स्थिर रहने का अनुमान है और दूसरे, बायोडीजल निर्माण में इसकी मांग एवं खपत बढ़ने की संभावना है। इसके फलस्वरूप खाद्य उद्देश्य के लिए पाम तेल की उपलब्धता ज्यादा बढ़ नहीं पायेगी।
एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में तीसरे माह (मार्च) के लिए क्रूड पाम तेल का औसत वायदा भाव मलेशिया के कमॉडिटी एक्सचेंज में 4000 रिंगिट (856.44 डॉलर) प्रति टन के करीब रहने की उम्मीद है।
मालूम हो कि कुआलालम्पुर में अवस्थित बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स (बीएमडी) एक्सचेंज में प्रचलित क्रूड पाम तेल (सीपीओ) न केवल अन्य आपूर्तिकर्ता देशों के लिए बेंचमार्क मूल्य की भूमिका निभाता है बल्कि दूसरे खाद्य तेलों के वैश्विक बाजार भाव को भी प्रभावित करता है जिसमें सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल एवं रेपसीड- कैनोला तेल भी शामिल है।
वर्ष 2023 में सीपीओ का औसत बेंचमार्क वायदा मूल्य घटकर 3798 रिंगिट प्रति टन पर आ गया जो वर्ष 2022 के औसत मूल्य से 23 प्रतिशत नीचे था।
एक अग्रणी एजेंसी ने 3 जनवरी 2023 को चालू वर्ष में सीपीओ का औसत वायदा मूल्य 3800 रिंगिट प्रति टन रहने का अनुमान लगाया था जो काफी हद तक सही साबित हुआ। एजेंसी के अनुसार इंडोनेशिया के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में क्रूड पाम तेल का औसत हाजिर बाजार भाव 892.20 डॉलर प्रति टन रहा जिसमें बंदरगाह तक की पहुंच का खर्च भी शामिल है।
समीक्षकों के मुताबिक चालू वर्ष के दौरान इंडोनेशिया, मलेशिया तथा थाईलैंड जैसे देशों में अल नीनो मौसम चक्र का भयंकर प्रकोप बना हुआ है जिससे अगले साल ऑयल पाम के उत्पादन में कमी आएगी। अल नीनो का प्रभाव अगले साल की पहली छमाही तक कमोबेश बरकरार रह सकता है जिससे वहां पाम तेल के उत्पादन में बढ़ोत्तरी की संभावना बहुत कम रहेगी।
इंडोनेशिया में बायोडीजल निर्माण में पाम तेल का उपयोग तेजी से बढ़ाया जा रहा है। इससे सीपीओ के दाम में कुछ तेजी-मजबूती का माहौल बन सकता है।
इसके अलावा दो अन्य कारक भी पाम तेल की कीमतों पर असर डालेगा। इसमें पहला कारक ब्राजील एवं अर्जेन्टीना जैसे लैटिन अमरीकी देशों में सोयाबीन का उत्पादन तथा दूसरा कारक चीन एवं भारत जैसे एशियाई देशों में मांग की स्थिति है।
सोयाबीन की फसल ब्राजील में कमजोर बताई जा रही है जबकि वह संसार में इसका सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है।