iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार देश में चीनी का उत्पादन उचित स्तर पर रखने के लिए गम्भीरतापूर्वक प्रयास कर रही है क्योंकि महाराष्ट्र एवं कर्नाटक जैसे अग्रणी उत्पादक राज्यों में खराब मौसम के कारण गन्ना की पैदावार में भारी गिरावट आने की आशंका है।
सरकार चाहती है कि एथनॉल के बजाए चीनी के निर्माण में गन्ना का अधिक से अधिक उपयोग हो। इसके लिए उसने चीनी मिलों एवं डिस्टीलरीज को केवल सी-हैवी शीरा से ही एथनॉल बनाने के लिए कहा है। यह द्वितीयक श्रेणी का शीरा होता है जिसमें चीनी की मात्रा बहुत कम रहती है।
इसके आलवा मिलर्स से कहा गया है कि यदि उसके पास दो तरह की इकाइयां हैं तो एक बार में कम से कम 20 दिनों के लिए एक ही इकाई को चालू रखे और उसमें एक तरह के कच्चे माल का उपयोग करें इसके आबाद दूसरी इकाई को क्रियाशील बनाए। इस शिफ्टिंग के लिए एक सप्ताह पूर्व सक्षम अधिकारी को इसकी सूचना दी जानी चाहिए।
केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय एथनॉल के निर्माण में गन्ना जूस से निर्मित रेक्टीफाइड स्पिरिट (आरएस) तथा एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ई एन ए) के साथ-साथ की हैवी शीरा के उपयोग पर भी प्रतिबंध लग चुका है।
अब उसने 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान एथनॉल एवं एवं स्पिरिट के उत्पादन के लिए संशोधित दिशा- निर्देश भी जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि यदि दोनों प्रोसेसिंग इकाइयां अलग-अलग फीड स्टॉक के साथ एक ही समय में क्रियाशील होती हैं तो उसके रिसीवर, स्टोरेज और डिनैचुरेशन अथवा निर्गत टैंक को अलग-अलग रखा जाना चाहिए और दोनों के बीच कोई सम्पर्क नहीं रहना चाहिए।
यदि एक फीड स्टॉक से दूसरे फीड स्टॉक में रूपान्तर करना आवश्यक हो तो इसकी अनुमति कम से कम 20 दिन की क्रियाशीलता के बाद ही दी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि एथनॉल का निर्माण विभिन्न फीड स्टॉक से होता है जिसमें सी-हैवी शीरा, बी-हैवी शीरा, गन्ना जूस, शुगर सीरप, चीनी, चावल, क्षतिग्रस्त अनाज, मक्का एवं टुकड़ी चावल आदि शामिल हैं।