iGrain India - हैदराबाद । तेलंगाना के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं सिंचाई मंत्री ने कहा है कि पिछली सरकार के कार्यकाल में राज्य के नागरिक आपूर्ति निगम पर कर्ज का अम्बार लग गया।
वर्ष 2021 में जब बीआरएस सरकार सत्ता में आई थी तब निगम पर केवल 3300 करोड़ रुपए का कर्ज था लेकिन वर्ष 2023 में जब वह सत्ता से बाहर हुई तब कर्ज की राशि उछलकर 56,000 करोड़ रुपए के करीब पहुंच गई। यह निगम धान की खरीद एवं राशन वितरण का दायित्व संभालना है।
खाद्य मंत्री के अनुसार निगम को अपने कर्ज पर प्रतिवर्ष 3000 करोड़ रुपए से अधिक राशी का ब्याज चुकाना पड़ रहा है। पिछले दशक के दौरान निगम को 11,000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ।
खाद्य मंत्री के अनुसार पिछली सरकार ने राइस मिलर्स को किसी सिक्योरिटी या बैंक गारंटी के बगैर 22,000 करोड़ रुपए मूल्य के धान का स्टॉक आवंटित कर दिया और अब निगम असमंजस या दुविधा की स्थिति में फंसा हुआ है।
हालांकि कर्नाटक एवं तमिलनाडु ने तेलंगाना से चावल खरीदने का ऑफर दिया था लेकिन राजनैतिक कारणों से पिछली सरकार ने चावल बेचने की अनुमति नहीं दी, भले ही वह गोदामों में पड़े-पड़े सड़ जाए।
यदि इस समय कर्नाटक / तमिलनाडु को प्रचलित बाजार मूल्य पर भारी मात्रा में चावल बेच दिया जाता तो निगम को कर्ज की मूल राशि एवं उस पर ब्याज का अंश घटाने का अच्छा अवसर मिल सकता था।
तेलंगाना की मौजूदा सरकार इन दोनों राज्यों को चावल बेचने की संभावनाओं का पता लगा रही है और एक पारदर्शी तरीके से धान के स्टॉक की खुली बिक्री करने पर विचार कर रही हैं।
निगम को विचित्र परिस्थिति से बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है। निगम का अंतिम लेखा परीक्षण वर्ष 2018-19 में हुआ था इसलिए पहले उसका लेखा परीक्षण (ऑडिट) करवाना आवश्यक है।