iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार का कहना है कि वह साप्ताहिक आधार पर घरेलू बाजार के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय पौधे पर भी चावल के सम्पूर्ण परिदृश्य का आंकलन-विश्लेषण कर रही है और उपयुक्त समय आने पर वैश्विक चावल निर्यात बाजार में भारत की भागीदारी बढ़ाने का आवश्यक प्रयास किया जाएगा।
भारत अब भी दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश बना हुआ है जबकि यहां से टुकड़ी चावल एवं गैर बासमती चावल का निर्यात बंद है। इसके बाद थाईलैंड दूसरे एवं वियतनाम तीसरे नम्बर पर है।
अल नीनो मौसम चक्र के प्रकोप से भारत में धान-चावल के उत्पादन में अनिश्चितता की स्थिति बनते देख सरकार ने कच्चे गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी और सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा दिया।
केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री के अनुसार सरकार घरेलू प्रभाग में चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों को उचित स्तर पर बरकरार रखने का प्रयास कर रही है।
टुकड़ी चावल एवं गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लागू है मगर सरकार से सरकार स्तर पर इसका निर्यात हो सकता है।
इसके तहत भारत सरकार जरूरतमंद देशों को उसकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए चावल का निर्यात कोटा आवंटित करती है बशर्ते कोई देश इसके लिए लिखित आग्रह करे।
वर्ष 2022 के दौरान भारत से चावल का निर्यात बढ़कर 222.40 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया जिससे वैश्विक चावल निर्यात बाजार में भारत की भागीदारी 40.63 प्रतिशत दर्ज की गई।
सितम्बर 2022 में टुकड़ी चावल (ब्रोकन राइस) तथा जुलाई 2023 में गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा हुई थी।