iGrain India - नई दिल्ली । किसानों से अरहर (तुवर) की भारी खरीद अपनी योजना को सफल बनाने के लिए केन्द्र सरकार जोरदार तैयारी कर रही है। तुवर और मसूर के साथ-साथ उड़द ही ऐसा दलहन है जिसके आयात पर देश की निर्भरता काफी बढ़ गई है।
उसे देखते हुए सरकार ने बफर स्टॉक की 80 प्रतिशत जरूरतों को पूरा करने के लिए एक स्पेशल स्कीम के तहत तुवर खरीदने का निर्णय लिया है।
अरहर का खुला बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा चल रहा है इसलिए सरकार को किसानों से प्रचलित बाजार मूल्य पर इसकी खरीदारी करने का निर्णय लेना पड़ा है। सरकार को किसानों से प्रचलित बाजार मूल्य पर इसकी खरीदारी करने का निर्णय लेना पड़ा है।
इसके तहत तुवर की खरीद या तो जिले वार न्यूनतम आश्वस्त खरीद मूल्य (एम ए सी पी) पर या फिर डायनामिक बफर खरीद मूल्य (डीबीपीपी), जो भी ऊंचा हो, पर की जाएगी।
जहां तक एमए पीपी का सवाल है तो यह खरीद की तिथि से तीन दिन पूर्व के उस जिले की सभी मंडियों में भारित औसत उच्चतम भाव और मॉडल मूल्य के आधार पर नियत होगा।
इसी तरह डीबीपीपी भारित औसत उच्चतम मूल्य तथा मॉडल मूल्य पर आधारित होता लेकिन इसमें मूल्य का आंकलन खरीद की तिथि से तीन दिन पूर्व से लेकर तीन दिन बाद के समय तक प्रचलित मूल्य पर किया जाएगा।
सरकार ने जिन राज्यों में अरहर (तुवर) की खरीद करने का प्लान बनाया है उसमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात एवं झारखंड शामिल है।
खरीद प्रक्रिया के तीन चरण होंगे। इसमें किसानों का रजिस्ट्रेशन, किसानों से तुवर की खरीद और फिर किसानों को उसके मूल्य का भुगतान सम्मिलित है।
वैश्विक बाजार में तुवर की आपूर्ति एवं उपलब्धता की जटिल स्थिति, घरेलू उत्पादन में कमी तथा बाजार में प्रचलित ऊंची कीमत को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस महत्वपूर्ण दलहन का बफर स्टॉक बढ़ाने का फैसला किया है और इसके लिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊंचे दाम पर तुवर खरीदने का निर्णय लिया गया है। ज्ञात हो कि 2023-24 के सीजन हेतु तुवर का एमएसपी 7000 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित हुआ है।