iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि सभी कल्याणकारी योजनाओं के तहत कुल मिलाकर 400-410 लाख टन चावल की औसत वार्षिक जरूरत पड़ती है लेकिन वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन में 2 जनवरी 2024 तक चावल की कुल सरकारी खरीद 311 लाख टन तक ही पहुंच सकी इसका मतलब यह है कि आगामी समय में करीब एक करोड़ टन अतिरिक्त चावल खरीदना होगा अन्यथा पिछले बकाया स्टॉक के चावल का इस्तेमाल करना पड़ेगा।
वैसे भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर (सीएमडी) ने कहा है कि बफर स्टॉक में चावल की उपलब्धता के प्रति चिंता की कोई बात नहीं है और कल्याणकारी योजनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए अब तक इसकी पर्याप्त खरीद हो चुकी है।
रबी सीजन में गेहूं की अपेक्षित खरीद नहीं हुई थी लेकिन फिर भी बफर स्टॉक से नियमित निकासी जारी रही। जरूरत के लायक खाद्यान्न का स्टॉक केन्द्रीय पूल में मौजूद रहेगा।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मौजूदा खरीफ मार्केटिंग सीजन के शुरुआती तीन महीनों में यानी अक्टूबर-दिसम्बर 2023 के दौरान चावल की कुल सरकारी खरीद घटकर 299.30 लाख टन पर सिमट गई जो वर्ष 2022 की समान अवधि की खरीद 347.90 लाख टन से 14 प्रतिशत कम रही। वैसे 2021 के मुकाबले यह खरीद 11 प्रतिशत ज्यादा थी।
वैसे 2021 के मुकाबले यह खरीद 11 प्रतिशत ज्यादा थी। सरकार ने इस बार 521.30 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है मगर अब तक के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि चावल की कुल वास्तविक खरीद इस लक्ष्य से काफी पीछे रह जाएगी।
समीक्षकों के अनुसार खुले बाजार में धान का भाव काफी ऊंचा रहने से सरकारी खरीद में कमी आई है। इसके अलावा तेलंगाना, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के कारण खरीद की गति धीमी रही।
एफसीआई के सीएमडी को उम्मीद है कि धान की खरीद की गति आगामी समय में तेजी होगी क्योंकि इन राज्यों में किसानों के बोनस देने की घोषणा जबकि ही हो सकती है। लेकिन उत्तर प्रदेश में खरीद की गति धीमी बनी हुई है।
खाद्य निगम के अनुसार 1 जनवरी 2024 को केन्द्रीय पूल में 328.30 लाख टन धान सहित खाद्यान्न का कुल स्टॉक 673.20 लाख टन था।