iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने आज यानी 4 जनवरी 2024 को अरहर (तुवर) खरीद के एक ई- पोर्टल का उद्घाटन (लांचिंग) करते हुए कहा कि इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) अथवा प्रचलित बाजार भाव पर नैफेड तथा एनसीसीएफ जैसी एजेंसियों को अपने उत्पाद की बिक्री कर सकते हैं।
सहकारिता मंत्री के अनुसार भविष्य में उड़द तथा मसूर के साथ-साथ मक्का उत्पादकों के लिए भी इसी तरह की सुविधा आरंभ की जाएगी। सहकारित मंत्री ने इस अवसर पर पोर्टल के माध्यम से तुवर की बिक्री करने वाले 25 किसानों को मूल्य भुगतान के तौर पर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) स्कीम के जरिए करीब 68 लाख रुपए को उसके बैंक खाते में ट्रांसफर किया।
उल्लेखनीय है कि बफर स्टॉक को बरकरार रखने के लिए नैफेड तथा एनसीसीएफ जैसी सहकारी एजेंसियां केन्द्र सरकार की ओर से किसानों से दलहन की खरीद करती हैं और आगे भी इसका सिलसिला जारी रहेगा।
पोर्टल की लांचिंग के बाद सहकारिता मंत्री ने कहा कि बिजाई प्रक्रिया आरंभ होने से पूर्व तुवर उत्पादक किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नैफेड तथा एनसीसीएफ को अपना उत्पाद बेचने के लिए इस पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवा सकते हैं।
लेकिन रजिस्ट्रेशन के बावजूद किसान सहकारी एजेंसियों को अपना उत्पाद बेचने के लिए बाध्य नहीं होंगे बल्कि उनके पास यह विकल्प रहेगा कि वे अपनी इच्छा से चाहे एनसीसीएफ / नैफेड को अपना उत्पाद बेचे या फिर खुले बाजार में उसकी बिक्री करे।
यदि तुवर का खुला बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा हो तो सरकारी खरीद के लिए एक फॉर्मूला के जरिये औसत मूल्य का आंकलन किया जाएगा।
सहकारित मंत्री के अनुसार सिर्फ चना और मूंग को छोड़कर भारत अन्य दलहनों के लिए विदेशों से आयात पर निर्भर रहता है। इसे देखते हुए दिसम्बर 2027 तक देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
जनवरी 2028 से देश में एक किलो दलहन का भी आयात नहीं होगा। पिछले 10 वर्षों के दौरान दलहनों के घरेलू उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है।