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देश के 30 प्रतिशत जिलों में वर्षा की कमी रहती है ज्यादा

प्रकाशित 18/01/2024, 09:36 pm
देश के 30 प्रतिशत जिलों में वर्षा की कमी रहती है ज्यादा

iGrain India - नई दिल्ली । एक प्राइवेट (स्वतंत्र) संस्था की रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्ष 2012 से 2022 के बीच देश की 55 प्रतिशत तहसीलों में दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा में 10 प्रतिशत या इससे अधिक का इजाफा हुआ।

इसके लिए वर्ष 1982 से 2011 की अवधि को आधार रेखा माना गया था। इस संस्था ने समूचे भारत में 4500 से अधिक तहसीलों के लिए पिछले 40 वर्षों की वर्षा के आंकड़ों- का अध्ययन- विश्लेषण करके जो निष्कर्ष निकाला है उससे पता चलता है कि 11 प्रतिशत उस जिला में 10 वर्षों की अवधि के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश में कमी आई।

जिन तहसीलों में वर्षा कम हुई वे गंगा-सिंधु के मैदानी भाग, पूर्वोत्तर भारत एवं ऊपरी हिमालय क्षेत्र में अवस्थित हैं जिसे मुख्यत: वर्षा पर आश्रित इलाका माना जाता है। वैसे कृषि उत्पादन की दृष्टि से यह संभाग काफी महत्वपूर्ण है जबकि वहां मौसम अक्सर चरम स्तर पर रहता है। 

राजस्थान, गुजरात, मध्यवर्ती महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु के कुछ भागों को परम्परागत रूप से शुष्क या कम वर्षा वाला क्षेत्र माना जाता है।

वहां लगभग एक-तिहाई तहसीलों में जून-सितम्बर की अवधि के दौरान मानसूनी बारिश में 30 प्रतिशत से अधिक का इजाफा दर्ज किया गया।

इसका मतलब यह है कि मानसून अब परम्परागत क्षेत्रों के बजाए गैर परम्परागत इलाकों की तरफ शिफ्ट होने लगा है।  पहले पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भारत में अक्सर अधिशेष वर्षा होती थी जिससे खासकर धान- जूट एवं मक्का आदि का शानदार उत्पादन होता था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वहां वर्षा की रफ्तार धीमी देखी जा रही है।

दूसरी ओर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात एवं महाराष्ट्र में बारिश जोर पकड़ती जा रही है जबकि पहले इसे शुष्क क्षेत्र माना जाता था। 

अल नीनो मौसम चक्र से इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून प्रभावित हुआ जिससे देश के कई राज्यों में वर्षा कम हुई और तापमान ऊंचा रहा। उसके फलस्वरूप धान, गन्ना तथा दलहन फसलों के उत्पादन में गिरावट आ गई।

पश्चिम भारत में धान का उत्पादन अपेक्षाकृत कम होता है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश में धान-चावल का सर्वाधिक उत्पादन होता है।

इसमें से अनेक प्रांतों में इस बार मानसून कमजोर रहा। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में गन्ना की सर्वाधिक पैदावार होती है। खरीफ कालीन दलहनों का उत्पादन भी शुष्क एवं गर्म मौसम के कारण काफी घट गया।  

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