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ऑयलमील का निर्यात एवं खाद्य तेलों का आयात स्वदेशी उद्योग के लिए अच्छे संकेत

प्रकाशित 24/01/2024, 01:59 am
ऑयलमील का निर्यात एवं खाद्य तेलों का आयात स्वदेशी उद्योग के लिए अच्छे संकेत

iGrain India - मुम्बई । दिसम्बर 2023 में देश से ऑयलमील का निर्यात बढ़कर 5.30 लाख टन से ऊपर पहुंच गया जो दिसम्बर 2022 के शिपमेंट 4.30 लाख टन से करीब एक लाख टन ज्यादा है।

निर्यात में आई यह 23 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी स्वदेशी तिलहन-तेल उद्योग के लिए काफी राहतपूर्ण है। वित्त वर्ष 2023-24 के शुरूआती महीनों में यानी अप्रैल- दिसम्बर 2023 के दौरान देश से ऑयल मील का निर्यात 2022-23 की समान अवधि के मुकाबले करीब 24 प्रतिशत उछलकर 34.90 लाख टन से ऊपर पहुंच गया।

इसके तहत खासकर सोयामील एवं रेपसीड मील के निर्यात में शानदार बढ़ोत्तरी हुई है। इसका भाव अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी या आकर्षक स्तर पर बरकरार रहने से विदेशी आयातकों ने इसकी खरीद में काफी अच्छी दिलचस्पी दिखाई और अब भी दिखा रहे हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं कि भारतीय ऑयल मील का निर्यात प्रदर्शन काफी अच्छा चल रहा है। यदि राइस ब्रान एक्सट्रैक्शन के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगा होता तो ऑयल मील का कुल निर्यात और भी बेहतर हो सकता था। 

दूसरी ओर चालू मार्केटिंग सीजन के दौरान शुरूआती दो महीनों में विदेशों से खाद्य तेलों के आयात में गिरावट आ गई। अच्छी बात यह रही कि इस अवधि में क्रूड खाद्य तेलों के साथ-साथ रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात में भी कमी आ गई।

नवम्बर-दिसम्बर 2022 में देश के अंदर करीब 30.80 लाख टन खाद्य तेल का आयात हुआ था जो नवम्बर-दिसम्बर 2023 में घटकर 24.50 लाख टन के करीब रह गया।

साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के अध्यक्ष का कहना है कि विदेशों से कम मात्रा में खाद्य तेलों का आयात होने से स्वदेशी क्रशिंग- प्रोसेसिंग इकाइयों में भारतीय तिलहनों की मांग एवं खपत बढ़ेगी जिससे किसानों को फायदा होगा।

अध्यक्ष महोदय के अनुसार चालू रबी सीजन में सरसों का उत्पादन क्षेत्र 100 लाख हेक्टेयर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है जिससे के बार फिर देश में इसका बम्पर उत्पादन होगा। इससे कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है। सरकार को सरसों की भारी खरीद के लिए तैयार रहना चाहिए।

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