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मसूर के बेहतर उत्पादन की उम्मीद के बावजूद दलहनों की कुल पैदावार घटने की संभावना

प्रकाशित 01/02/2024, 05:18 pm
मसूर के बेहतर उत्पादन की उम्मीद के बावजूद दलहनों की कुल पैदावार घटने की संभावना

iGrain India - नई दिल्ली । बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी एवं मौसम की अनुकूल स्थिति के सहारे भारत में 2023-24 के वर्तमान रबी सीजन के दौरान मसूर का शानदार या रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है लेकिन कुल मिलाकर दलहनों की सकल पैदावार में कमी आने की संभावना है।

खरीफ सीजन के बाद रबी सीजन में भी दलहनों के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आ गई। खरीफ सीजन में दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश कम होने तथा मौसम गर्म एवं शुष्क रहने से दलहन फसलों- तुवर, उड़द एवं मूंग को काफी नुकसान हुआ। अब चालू रबी सीजन में चना, मूंग तथा उड़द का क्षेत्रफल घट गया है।

आमतौर पर रबी कालीन दलहन फसलों की बिजाई दिसम्बर के अंत तक समाप्त हो जाती है लेकिन इस बार कुछ विशेष कारणों से जनवरी में भी इसकी प्रक्रिया जारी रही।

अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा की विदेश कृषि सेवा (फास) के मुम्बई स्थित प्रतिनिधि कार्यालय (उस्डा पोस्ट) की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर पूर्व मानसून के आगमन में देरी होने, खरीफ फसलों की कटाई की गति धीमी रहने तथा रबी सीजन की फसलों की बिजाई के लिए समय कम बचने से दलहनों के रकबे में गिरावट आ गई। अब बिजाई की प्रक्रिया लगभग समाप्त हो गई है। 

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 19 जनवरी 2024 तक राष्ट्रीय स्तर पर रबी कालीन दलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 155.10 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जो गत वर्ष की समानावधि के बिजाई क्षेत्र से 7.5 प्रतिशत कम था।

इसके तहत चना का क्षेत्रफल 6.8 प्रतिशत  बढ़कर 102.90 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया लेकिन मसूर का रकबा 18.50 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 19.50 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो 14.40 लाख हेक्टेयर के सामान्य औसत क्षेत्रफल से करीब 5 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। मटर के उत्पादन क्षेत्र में भी कुछ इजाफा हुआ है। 

कुछ समय पूर्व आयोजित ग्लोबल पल्स कॉन फेडरेशन (जीपीसी) के एक कार्यक्रम में केन्द्रीय उपभोक्ता मामले सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा था कि चालू वर्ष के दौरान भारत में मसूर का उत्पादन बढ़कर सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है और भारत इस बार कनाडा तथा ऑस्ट्रेलिया को भी पीछे छोड़कर दुनिया में मसूर का सबसे बड़ा उत्पादक देश बन जाएगा।

अधिकांश समीक्षकों का मानना है कि इस बार मसूर का उत्पादन बेहतर हो सकता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2022-23 सीजन के दौरान भारत में 15.60 लाख टन मसूर का उत्पादन हुआ था जो इस बार 16 लाख टन को पार कर जाएगा।

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