iGrain India - बंगलौर । लोकसभा के लिए आम चुनाव का समय अत्यन्त निकट आने से केन्द्र सरकार खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने का हर संभव प्रयास कर रही है।
इस श्रृंखला की एक कड़ी के रूप में उसने महज 29 रुपए प्रति किलो के अविश्वसनीय दाम पर सीधे आम उपभोक्ताओं को भारत ब्रांड चावल की बिक्री आरंभ करने का निर्णय लिया है। अगले 10-15 दिनों में यह सरकारी चावल चुनिंदा आउटलेट्स पर उपलब्ध होने लगेगा। समझा जाता है कि आगामी आम चुनाव से पूर्व सरकार की यह स्कीम एक गेम चेंजर (खेल का रुख बदलने वाली) साबित हो सकती है।
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार द्वारा बीपीएल राशन कार्ड धारकों को प्रतिमाह 10 किलो चावल के वितरण की योजना चलाई जा रही है जिस पर केन्द्र की इस स्कीम से असर पड़ने की आशंका है।
ध्यान देने की बात है कि आठ माह पूर्व वहां सत्ता में आई कांग्रेस सरकार को अपनी स्कीम के लिए अभी तक पर्याप्त मात्रा में चावल प्राप्त करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है क्योंकि केन्द्र ने उसे चावल देने से इंकार कर दिया है।
इसके फलस्वरूप कर्नाटक में कार्ड धारकों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों के जरिए 5 किलो चावल मुफ्त में उपलब्ध करवाया जा रहा है जबकि शेष 5 किलो चावल के लिए 34 रुपए प्रति किलो की दर से जो राशि बनती है वह सीधे लाभार्थियों के खाते में जमा कर दी जानी है।
अधिकारियों का कहना है कि केन्द्र की नई चावल बिक्री स्कीम कर्नाटक सरकार के घावों पर नमक छिड़कने जैसी है। कर्नाटक के खाद्य मंत्री ने पूछा है कि क्या राज्य सरकार सीधे नैफेड या एनसीसीएफ से इस चावल की खरीद कर सकती है।
ये एजेंसियां सीधे राज्य सरकार को चावल की बिक्री नहीं करेंगी। लेकिन केन्द्र सरकार भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से चावल लेती है और उसे इन दो एजेंसियों के माध्यम से बेच रही है।
पिछले कुछ महीनों के दौरान कर्नाटक के खाद्य मंत्री द्वारा विभिन्न एजेंसियों तथा राइस मिलर्स के साथ दर्जनों मीटिंग आयोजित की गई लेकिन उन्हें अपने उद्देश्य में सफलता नहीं मिल सकी क्योंकि कानून के तहत चावल खरीदने का अधिकार खाद्य निगम के पास है और साथ ही साथ चावल के दाम में भी बढ़ोत्तरी हो गई है।
खाद्य मंत्री के अनुसार केन्द्र तो कर्नाटक सरकार की सहायता के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है। केन्द्र को 38 रुपए प्रति किलो की दर से चावल खरीदना पड़ रहा है और वह हमेशा के लिए इसका स्टॉक अपने गोदाम में नहीं रख सकता है इसलिए उसे सस्ते दाम पर बाजार में उतारा जा रहा है। कर्नाटक को प्रतिमाह 2.00-2.50 लाख टन चावल की जरूरत पड़ती है।