iGrain India - नई दिल्ली । देश के अंदर खाद्य महंगाई को बढ़ाने में मसालों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है और पिछले साल खासकर जीरा का भाव उछलकर सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था।
दाल-दलहन एवं सब्जियों के साथ मसालों ने भी आम लोगों का घरेलू बजट बिगाड़ दिया था। हालांकि कोरोना काल से ही मसालों के दाम में तेजी-मजबूती का सिलसिला जारी था मगर वर्ष 2023 में कुछ मसालों ने तेजी का पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया।
अब हल्दी, लालमिर्च, कालीमिर्च एवं अदरक (सौंठ) जैसे मसालों के नए माल की आपूर्ति का सीजन आरंभ हो गया है जबकि जीरा, धनिया, सौंफ, मेथी एवं लहसुन आदि मसालों की आवक अगले कुछ सप्ताहों में जोर पकड़ने की उम्मीद है।
जीरा का भाव गुजरात की ऊंझा मंडी में उछलकर एक समय 62,000 रुपए प्रति क्विंटल के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था मगर वर्ष 2023 के अंतिम महीनों के दौरान इसमें गिरावट का माहौल बनने लगा।
लालमिर्च की कीमतों में भी इसी तरह का चढ़ाव-उतार देखा गया। हल्दी और सौंठ का दाम पिछले कुछ महीनों में नरम पड़ा या कम से कम इसमें पहले वाली तेजी नहीं देखी गई। जुलाई से सितम्बर के बीच इसका भाव काफी ऊंचा रहा था।
अगस्त में सौंठ का दाम उछलकर 40,000 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर पहुंच गया था लेकिन बाद में नरम पड़ने लगा। इसी तरह कालीमिर्च का मूल्य पिछले पांच साल के उच्चतम स्तर को छूते हुए 60,000 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंचा था और छोटी इलायची का दाम भी गत तीन वर्षों के शीर्ष स्तर पर पहुंचा जब इसका औसत नीलामी मूल्य 2000 रुपए प्रति किलो के आसपास दर्ज किया गया था छोटी (हरी) इलयाची के नए माल की आवक अगस्त-सितम्बर में शुरू हो गई थी।
पिछले साल अनेक चरणों से विभिन्न मसालों के दाम में भारी तेजी देखी गई। इसमें सबसे प्रमुख कारण मांग एवं आपूर्ति के बीच भारी असंतुलन बनना था। मसालों की घरेलू एवं निर्यात मांग काफी मजबूत रही जबकि कुछ मसालों का उत्पादन कमजोर रहा।
कॉमोडिटी एक्सचेंजों में भी जीरा का वायदा भाव पिछले साल एक समय उछलकर 64,000 रुपए प्रति क्विंटल के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा था जो अब घटकर काफी नीचे आ गया है। चालू वर्ष के दौरान जीरा का घरेलू उत्पादन शानदार होने के आसार हैं।