iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने कहा है कि खाद्य उत्पादों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) तथा एगमार्क का प्रमाण पत्र लेना आवश्यक नहीं होगा बशर्ते उसके वास्ते एफएसएसएआई का लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया हो।
अपनी 43 बैठक में प्राधिकरण ने खाद्य उत्पादों के लिए इन प्रमाण पत्रों की आवश्यकता समान करने का निर्णय लिया है। इसका मतलब यह हुआ कि एक बार यदि खाद्य व्यवसाय कारोबारी (फूड बिजनेस ऑपरेटर- चाहे वह छोटा विक्रेता हो या बड़ा प्रतिष्ठान- ने एफएसएसएआई से लाइसेंस अथवा प्रमाण पत्र लेना जरुरी नहीं होगा।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है प्रचलित नियमों में संशोधन को अंतिम रूप दिए जाने के बाद खाद्य व्यवसाय के संचालकों को अनिवार्य प्रमाण पत्र के लिए विभिन्न प्राधिकरणों के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और केवल एफएसएसएआई से ही प्रमाण पत्र करना आवश्यक होगा।
जानकारों का कहना है कि प्राधिकरण का यह निर्णय देश में खाद्य व्यवसाय के क्षेत्र में 'इज ऑफ ड्रइंग बिजनेस' (व्यवसाय करने में सहूलियत) की दिशाओं में मील का पत्थर साबित हो सकता है और कारोबारियों को अनेक कठिनाई से बचा सकता है।
एफएसएसएआई ऑथोरिटी में विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं जिसमें वाणिज्य मंत्रालय, उपभोक्ता मामले, कानून तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय सम्मिलित हैं।
इसके अलावा उसमें राज्यों एवं उद्योग के प्रतिनिधि भी मौजूद रहते हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव इसके चेयरमैन होते हैं और खाद्य प्राधिकरण की बैठक की अध्यक्षता करते हैं, इसी बैठक में संशोधनों को अंतिम रूप दिया जाता है।
प्राधिकरण की 43 वीं मीटिंग में 'हलीम' के लिए भी मानकों का निर्धारण किया गया। यह मांस, दाल, अनाज एवं कुछ अन्य सामानों से बना हुआ व्यंजन होता है जिसके लिए अभी तक कोई मानक नियत नहीं हुआ था।
खाद्य उत्पादों के कारोबारियों को प्राधिकरण के नए निर्णय से अपना व्यापार करने में काफी आसानी होगी। उन्हें केवल भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण से ही प्रमाण पत्र लेना होगा। बाकी किसी अन्य संस्था या एजेंसी से प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।