iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ निकाय- कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि सऊदी अरब एवं इराक जैसे देशों की जबरदस्त मांग के सहारे चालू वित्त वर्ष के शुरुआती नौ महीनों में यानी अप्रैल-दिसम्बर 2023 के दौरान भारतीय बासमती चावल का निर्यात वर्ष 2022 की समान अवधि के मुकाबले करीब 19 प्रतिशत बढ़कर 3.97 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
समीक्षाधीन अवधि में एक तो चावल की निर्यात मात्रा में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई और दूसरे इसका निर्यात ऑफर मूल्य भी कुछ ऊंचा रहा। अप्रैल-दिसम्बर 2022 में इसकी निर्यात आय 3.33 अरब डॉलर दर्ज की गई थी। समीक्षाधीन अवधि में देश से बासमती चावल की निर्यात मात्रा भी 31.90 लाख टन से 11 प्रतिशत बढ़कर 35-40 लाख टन पर पहुंच गई।
दूसरी ओर इसी अवधि में गैर बासमती चावल की निर्यात मात्रा 131.70 लाख टन से घटकर 83.40 लाख टन तथा निर्यात आय 4.66 अरब डॉलर से 28 प्रतिशत लुढ़ककर 10.37 अरब डॉलर में करीब 25 प्रतिशत घटकर 7.80 अरब डॉलर पर सिमट गया। सरकार द्वारा जुलाई 2023 में गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था।
एपीडा की निगरानी वाले कृषि एवं खाद्य उत्पादों का कुल निर्यात भी इस अवधि के दौरान 19.68 अरब डॉलर से 9.14 प्रतिशत घटकर 17.88 अरब डॉलर रह गया। राहत की बात यह रही कि समीक्षाधीन अवधि के दौरान अनाज एवं काजू को छोड़कर अन्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि हुई जिसे ताजे एवं प्रसंस्कृत फल और सब्जियां, पशुधन उत्पाद तथा सीड्स आदि शामिल हैं।
लेकिन डेयरी उत्पादों का निर्यात 47.10 करोड़ डॉलर से करीब 31 प्रतिशत घटकर 32.70 करोड़ डॉलर पर आ गया। गेहूं एवं इसके उत्पादों तथा टुकड़ी चावल के निर्यात पर वर्ष 2022 से ही प्रतिबंध लगा हुआ है।
इसी तरह गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात भी जुलाई 2023 से रोक दिया गया। मक्का का निर्यात प्रदर्शन भी कमजोर पड़ गया और दाल-दलहनों के निर्यात में कुछ कमी आ गई। प्रसंस्कृत काजू का निर्यात भी संतोषजनक ढंग से नहीं हो सका।