iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार वर्ष 2024 के रबी मार्केटिंग सीजन में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अधिक से अधिक मात्रा में गेहूं की खरीद सुनिश्चित करने हेतु हर संभव प्रयास कर रही है।
सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों से कहा गया है कि वे इस सीजन में गेहूं की जल्दी से जल्दी खरीद आरंभ करने के लिए पहले ही व्यापक इंतजाम कर लें, किसानों का पंजीकरण शुरू करें और गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित करें।
केन्द्र सरकार ने गेहूं खरीद से सम्बन्धित तमाम मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श करने के लिए 28 फरवरी 2024 को राज्यों के खाद्य सचिवों की एक मीटिंग बुलाई है।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान को मार्च से ही गेहूं की खरीद आरंभ करने के लिए कहा गया है जबकि पंजाब तथा हरियाणा में इसकी प्रक्रिया 1 अप्रैल से शुरू होगी।
चूंकि केन्द्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक लगातार तेजी से घटता जा रहा है और 1 अप्रैल तक यह गिरकर न्यूनतम अनिवार्य बफर स्टॉक के आसपास आ जाने की संभावना है इसलिए सरकार को गेहूं की खरीद बढ़ाने की गंभीर चिंता सता रही है।
वर्ष 2022 में 188 लाख टन तथा 2023 में 262 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई जो नियत लक्ष्य से काफी कम थी। सरकार ने घरेलू बाजार में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए अपने स्टॉक का दरवाजा पूरी तरह खोल दिया और खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत सस्ते दाम पर विशाल मात्रा में गेहूं बेचना शुरू कर दिया।
इसके परिणामस्वरूप 28 जून 2023 से 7 फरवरी 2024 के दौरान इस योजना के अंतर्गत 80.04 लाख टन गेहूं की भारी बिक्री हो गई। केन्द्रीय पूल में गेहूं के स्टॉक में भारी गिरावट आने का यह प्रमुख कारण बन गया।
बेशक सरकार ने चालू रबी सीजन के लिए 1140 लाख टन गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन का लक्ष्य नियत किया है और इस बार इसका बिजाई क्षेत्र भी बढ़कर 341 लाख हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है मगर गेहूं का वास्तविक उत्पादन अगले चार-छह सप्ताहों के मौसम पर निर्भर करेगा।
गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 2275 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है मगर खुले बाजार में प्रचलित भाव को देखते हुए किसानों के लिए यह ज्यादा आकर्षक नहीं है। राजस्थान तथा मध्य प्रदेश में किसानों को एमएसपी से ऊपर अतिरिक्त बोनस दिया जा सकता है।