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विदेशी मांग मजबूत रहने से बासमती चावल के निर्यात में अच्छी बढ़ोत्तरी

प्रकाशित 16/02/2024, 04:56 pm
विदेशी मांग मजबूत रहने से बासमती चावल के निर्यात में अच्छी बढ़ोत्तरी

iGrain India - नई दिल्ली । न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) की 1200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन नियत किए जाने के बाद प्रमुख आयातक देशों और खासकर सऊदी अरब तक इराक में भारतीय बासमती चावल की मांग तेजी से बढ़ गई।

इसके फलस्वरूप दिसम्बर 2022 की तुलना में दिसम्बर 2023 के दौरान बासमती चावल का निर्यात 17.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 5,48,392 टन पर पहुंच गया। इसके चलते निर्यात आय भी इस अवधि से बढ़कर 59,335  करोड़ डॉलर या 49.41 अरब रुपए पर पहुंची।

इससे पूर्व दिसम्बर 2022 के दौरान देश से 46.445 करोड़ डॉलर या 38.90 अरब रुपए मूल्य के 4,65,489 टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था। इसके साथ ही वर्ष 2023 की सम्पूर्ण अवधि (जनवरी-दिसम्बर) में बासमती चावल का शिपमेंट तेजी से बढ़कर 49 लाख टन की ऊंचाई पर पहुंच गया जो अब तक का दूसरा सबसे बड़ा सालाना निर्यात आंकड़ा है।

इतना ही नहीं बल्कि फ्री ऑन बोर्ड औसत इकाई निर्यात ऑफर मूल्य ऊंचा रहने से बासमती चावल की कुल निर्यात आमदनी भी वर्ष 2022 के 4.45 अरब डॉलर से 21 प्रतिशत बढ़कर वर्ष 2023 में 5.42 अरब डॉलर के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई।

भारतीय मुद्रा में यह निर्यात आय 353.20 अरब रुपए से 20.6 प्रतिशत बढ़कर 447.80 अरब रुपए पर पहुंची। 

भारत से पश्चिम एशिया के देशों में बासमती चावल का सर्वाधिक निर्यात होता है। इसके प्रमुख आयातक देशों में ईरान, सऊदी अरब, इराक, बहरीन, कुवैत, ओमान, क़तर एवं संयुक्त अरब अमीरात आदि शामिल है।

इसके अलावा अमरीका एवं यूरोप में भी बासमती चावल का निर्यात किया जाता है। दिसम्बर 2023 में पश्चिम एशिया के देशों ने भारत से 4.43 लाख टन बासमती चावल मंगाया। 

लाल सागर क्षेत्र में हूती लुटेरों द्वारा व्यावसायिक जहाजों पर किए जा रहे आक्रमण के कारण दिसम्बर 2023 में भारत से इजरायल, मिस्र, जॉडर्न तथा यूरोपीय देशों को बासमती चावल का निर्यात आंशिक रूप से प्रभावित हुआ।

वर्ष 2023 में निर्यात की एक खास विशेषता यह रही कि ईरान को पीछे छोड़कर सऊदी अरब भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया और इराक को करीब 6.62 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया गया जबकि ईरान को इसका निर्यात 2022 के 11.45 लाख टन से 36 प्रतिशत घटकर 7.28 लाख टन के आसपास सिमट गया।

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