iGrain India - नई दिल्ली । मौसम में बढ़ती गर्माहट को देखते हुए गेहूं की फसल के लिए चिंता बढ़ने लगी है। एक तरफ कई इलाकों में बारिश का अभाव बना हुआ है तो दूसरी और तापमान ऊंचा होने लगा है।
अक्सर फरवरी-मार्च में मौसम की हालत प्रतिकूल होने से कई क्षेत्रों में गेहूं की फसल प्रभावित होती है इसकी उपज दर तथा दाने की क्वालिटी पर असर पड़ता है। समझा जाता है कि अप्रैल तक अल नीनो मौसम चक्र का प्रभाव बरकरार रहेगा। इससे किसानों की चिंता बढ़ सकती है।
गेहूं रबी सीजन में उत्पादित होने वाला सबसे प्रमुख खाद्यान्न है। इस बार राष्ट्रीय स्तर पर इसका बिजाई क्षेत्र बढ़कर 341 लाख हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया।
सरकार का कहना है कि इसमें से करीब 60-65 प्रतिशत भाग में गेहूं की ऐसी उन्नत एवं विकसित किस्मों की खेती की गई है जिसमें प्रतिकूल मौसम और खासकर ऊंचे तापमान को सहन करने की अधिक क्षमता है।
लेकिन कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इस क्षमता की भी एक सीमा है और यदि लम्बे समय तक मौसम गर्म रहने की संभावना व्यक्त की है। पंजाब-हरियाणा में दिसम्बर का महीना सूखा रहा था जबकि जनवरी में भी हालत अच्छी नहीं रही। देश के पश्चिमोत्तर, मध्यवर्ती एवं पूर्वी राज्यों में जनवरी के दौरान वर्षा का अभाव रहा मगर मौसम ठंडा रहने से फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।
अब तक स्थिति के आधार पर कहा जा सकता है कि गेहूं की फसल कमोबेश संतोषजनक है। यदि फरवरी के शेष दिनों में शुष्क इलाकों में एकाध अच्छी वर्षा होती है तो फसल की हालत में सुधार आ सकता है।
इसके विपरीत यदि बारिश का अभाव रहा तो फसल को क्षति हो सकती है। मौसम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि 1 जनवरी से 14 फरवरी 2024 के दौरान देश के लगभग 68 प्रतिशत क्षेत्र में बारिश कम, बहुत कम या बिल्कुल नहीं हुई। यह आंकड़ा गेहूं की फसल के लिए अनुकूल नहीं है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2023-24 के वर्तमान रबी सीजन के लिए 1140 लाख टन गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है जो 2022-23 के अनुमानित उत्पादन 1105 लाख टन एवं 2021-22 के उत्पादन 1077 लाख टन से ज्यादा है।
उद्योग-व्यापार समीक्षकों का कहना है कि इस बार मौसम की हालत बहुत अच्छी नहीं है और इसलिए गेहूं का वास्तविक उत्पादन सरकारी लक्ष्य से काफी पीछे रह जाएगा।