iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक घटकर पिछले सात साल के निचले स्तर पर आने से चिंतित सरकार चालू वर्ष के दौरान इसकी खरीद बढ़ाने का हर संभव प्रयास करना चाहती है और संयोग से इस बार उसे इसका शानदार घरेलू उत्पादन होने का भरोसा भी है।
सरकार को उम्मीद है कि गेहूं का उत्पादन 1140 लाख टन के नियत लक्ष्य तक पहुंच जाएगा जो सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर होगा। इससे घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ेगी और अभाव का संकट दूर हो जाएगा।
पिछले एक वर्ष से गेहूं का बाजार भाव ऊंचे स्तर पर बना हुआ है। वैसे पिछले कुछ महीनों के दौरान सरकार द्वारा किए गए अनेक उपायों के कारण इसमें तेजी की तीव्रता कम हुई है और कई नदियों में यह थोड़ा-बहुत नरम भी पड़ा है।
सरकार ने एक तरफ गेहूं एवं इसके उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया तो दूसरी ओर खुले बाजार बिक्री योजना तथा भारत ब्रांड नाम से खुदरा बिक्री के माध्यम से इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने का प्रयास भी किया। बाजार भाव पर इसका सकारात्मक असर पड़ा।
हरियाणा के करना का में स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक का कहना है कि चालू रबी सीजन में अभी तक कहीं से गेहूं की फसल पर येलो रष्ट रोग के प्रकोप की कोई सूचना नहीं मिली है जबकि मौसम की हालत भी काफी हद तक फसल के लिए अनुकूल बनी हुई है।
हर जगह फसल का संतोषजनक ढंग से विकास हो रहा है। निदेशक के अनुसार राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात एवं महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अगले महीने के मध्य से गेहूं भी नई फसल की कटाई-तैयार शुरू हो जाएगी जबकि पंजाब-हरियाणा में मार्च के अंत तक कटाई भी प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
उत्तर प्रदेश में इस वर्ष सबसे पहले यानी 1 मार्च से गेहूं की खरीद शुरू करने का निर्णय लिया गया है सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार प्राकृतिक आपदाओं या खराब मौसम का अभी तक कोई गंभीर प्रकोप नहीं देखा जा रहा है।
रिकॉर्ड उत्पादन होने तथा तमाम बंदिश लागू रहने से इस बार गेहूं की सरकारी खरीद में अच्छी बढ़ोत्तरी होने का अनुमान है जबकि सीमित व्यापारिक ख़रीद के कारण खुले बाजार में गेहूं के दाम में ज्यादा नरमी आने मुश्किल लगता है।