iGrain India - तिरुअनंतपुरम। ऑस्ट्रेलियाई मौसम ब्यूरो (बोम) ने कहा है कि सात में से 4 वैश्विक जलवायु मॉडल्स से संकेत मिलता है कि अप्रैल 2024 के अंत तक न्यूट्रल अल नीनो-सादर्न अभिलेषण (एनसो) की वापसी हो जाएगी जबकि अन्य तीन मॉडल्स ने मई 2024 में उदासीन स्थिति बन्ने का संकेत दिया है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी भी स्थिति में जून से पहले अलनीनो का प्रकोप और प्रभाव समाप्त हो सकता है जिससे भारतीय मानसून इस बार सुरक्षित रहेगा और देश में अच्छी वर्षा की उम्मीद लगी रहेगी। वर्ष 2023 में अलनीनो मौसम चक्र ने ऑस्ट्रेलिया, भारत एवं इंडोनेशिया सहित दुनिया के कई देशों में मौसम एवं वर्षा को काफी हद तक प्रभावित किया था।
बोम की एक रिपोर्ट के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय जलवायु मॉडल से संकेत मिलता है कि मध्यवर्ती ट्रॉपिकल प्रशांत महासागर आगामी महीनों के दौरान नियमित रूप से ठंडा होता जायेगा। चार मॉडल्स तो अगले महीने के अंत तक इस क्षेत्र में उदासीन या तरस्थ स्थिति बनने का संकेत दे रहे हैं जिसका मतलब यह है कि महासागर की आंतरिक सतह न तो ज्यादा गर्म रहेगी और न ही ज्यादा ठंडी रहेगी। शेष तीन मॉडल से संकेत मिलता है कि अप्रैल के अंत तक वहां थोड़ी गर्मी रह सकती है लेकिन मई में वह समाप्त हो जाएगी।
उधर अमरीकी जलवायु केंद्र ने इस बार ला नीना मौसम चक्र के आने की 55 प्रतिशत सम्भावना व्यक्त की है। भारतीय मानसून के लिए यह अच्छा सूचना है क्योंकि अलनीनो के विपरीत ला नीना के दौरान देश में अच्छी वर्षा होने की परिपाटी रही है। दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान भारत में करीब 70 प्रतिशत वर्षा होती है जो खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम महत्वपूर्ण मानी जाती है। जून से सितम्बर तक मानसून का सीजन रहता है।