iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय पूल में 1 मार्च 2024 को गेहूं का स्टॉक घटकर पिछले सात साल के निचले स्तर पर आ गया जिससे बाजार भाव पर दबाव पड़ना मुश्किल लगता है।
खुले बाजार बिक्री योजना के तहत गेहूं की बिक्री बंद हो चुकी है और अब मिलर्स- प्रोसेसर्स को मंडियों का ही आसरा है। सरकार ने गेहूं का उत्पादन 1120.30 लाख टन होने का अनुमान लगाया है मगर उद्योग-व्यापार क्षेत्र के इस पर संदेह है।
खुले बाजार बिक्री योजना, मुफ्त राशन वितरण योजना एवं कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए विशाल मात्रा में गेहूं की निकासी हुई। पिछले साल गेहूं की घरेलू पैदावार और सरकारी खरीद भी उम्मीद के अनुरूप नहीं हुई।
चालू वर्ष में गेहूं की फसल अब कटाई के लिए तैयार होने लगी है और इसलिए सबका ध्यान इसके संभावित उत्पादन पर केन्द्रित हो गया है। समीक्षकों को भरोसा है कि मौसम इस बार गेहूं की फसल को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा और इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का उत्पादन पिछले साल से कुछ अधिक हो सकता है। भारतीय खाद्य निगम के पास 1 मार्च 2024 को केवल 97 लाख टन गेहूं का स्टॉक बचा हुआ था जो न्यूनतम आवश्यक बफर मात्रा 138 लाख टन से काफी कम है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक गेहूं के स्टॉक में गिरावट आना कोई हैरानी की बात नहीं है क्योंकि बढ़ते बाजार भाव को नियंत्रित करने के लिए जिस तरह सरकार ने अपने स्टॉक का दरवाजा खोल दिया उसका यही परिणाम होने वाला था।
ओएमएसएस के तहत 94 लाख टन से अधिक गेहूं की बिक्री हो गई जिससे केन्द्रीय पूल में स्टॉक काफी घट गया अब यह देखना जरुरी है कि इस वर्ष खाद्य निगम को गेहूं की खरीद में कितनी सफलता मिलती है और व्यापारियों - स्टॉकिस्टों के लिए लागू भंडारण सीमा को कब समाप्त किया जाता है।