iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार के पास यद्यपि गेहूं का स्टॉक काफी कम बचा है मगर चावल का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है जिससे घरेलू जरूरतों को पूरा करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
चूंकि टुकड़ी चावल तथा गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है इसलिए घरेलू बाजार में इसका भी ज्यादा अभाव महसूस नहीं होगा। सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू है लेकिन फिर भी इसका भारी शिपमेंट हो रहा है।
हालांकि पिछेल साल के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान चावल की सरकारी खरीद में 7.5 प्रतिशत की गिरावट आई है लेकिन फिर भी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास न्यूनतम आवश्यक बफर मात्रा से करीब चार गुना अधिक का स्टॉक उपलब्ध रहेगा।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार फिलहाल खाद्य निगम के पास 572 लाख टन चावल एक स्टॉक मौजूद है। इसमें से चावल का वास्तविक स्टॉक 272 लाख टन है जबकि लगभग 300 लाख टन चावल के समतुल्य धान का स्टॉक है।
यह चावल राइस मिलर्स से प्राप्त होना है जिसे कस्टम मिलिंग के लिए धान का आवंटन किया गया है। 1 अप्रैल को सरकार के पास कम से कम 135.80 लाख टन चावल का स्टॉक होना चाहिए।
भारतीय खाद्य निगम को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों के बीच वितरित करने के लिए करीब 36 लाख टन चावल की वार्षिक जरूरत पड़ती है जबकि अन्य कल्याणकारी योजनाओं में भी चावल की आपूर्ति करनी पड़ती है।
यद्यपि सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना के तहत भी चावल बेचने का प्रयास किया मगर इसमें ज्यादा सफलता नहीं मिल सकी। इसी तरह भारत ब्रांड नाम से चावल की खुदरा बिक्री आरंभ की गई है मगर इसे भी अपेक्षित रिस्पांस नहीं मिल रहा है।