iGrain India - हैदराबाद। देश के अन्दर मक्का की मांग एवं खपत तेजी से बढ़ती जा रही है जबकि इसके मुकाबले उत्पद्दना में कृषि की गति धीमी पड़ गयी है। इसे देखते हुए आगामी वर्षों में मक्का की मांग एवं आपूर्ति के बीच अंतर काफी बढ़ सकता है जिससे न केवल घरेलू बाजार भाव ऊंचा एवं तेज हो जायेगा बल्कि इसका निर्यात भी ठप्प पड़ सकता है। खाद्यान्न के संवर्ग में चावल तथा गेहूं के बाद देश में मक्का का ही सर्वाधिक उत्पादन होता है। पहले खाद्य उद्देश्य तथा पशुआहार, पोल्ट्री फीड एवं स्टार्च निर्माण उद्योग में मक्का की खपत होती थी जबकि अब एथनोल निर्माण में भी इसका भारी उपयोग होने लगा है। आगे इसकी मांग एवं खपत निरंतर बढ़ते जाने की सम्भावना है। यदि इसके अनुरूप उत्पादन में बढ़ोत्तरी नहीं हुई तो विदेशों से भारी मात्रा में मक्का के आयात की आवश्यकता पड़ सकती है।
आधिकारिक आकड़ों के अनुसार 2023-24 सीजन के दौरान भारत में 346 लाख टन मक्का का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि वहां उत्पादन में दोगुनी बढ़ोत्तरी तक की गुंजाइश है। इसका समुचित दोहन किये जाने की आवश्यकता है। विश्लेषकों के अनुसार कम से कम समय में लागत खर्च को नीचे रखते हुए मक्का का अधिक से अधिक उत्पादन करना जरुरी है और इसका सिलसिला निरंतर जारी रहना चाहिए।
वैश्विक स्तर पर 2022-23 सीजन के दौरान 20.70 करदो हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का की खेती हुई थी और इसका कुल उत्पादन 1.218 अरब टन पर पहुंचा था। अमरीका इसका सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक देश है जबकि उत्पादन में चीन तथा निर्यात में ब्राजील दूसरे नम्बर पर है। अमरीका में पिछले साल 38.77 करोड़ टन मक्का का उत्पादन हुआ जो कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग एक-तिहाई था। इसके अलावा चीन में 23 प्रतिशत, ब्राजील में 4 प्रतिशत, यूरोपीय संघ में 5 प्रतिशत तथा अर्जेंटीना में 4 प्रतिशत मक्का का उत्पादन दर्ज किया गया। भारत का योगदान 3 प्रतिशत से भी कम रहा जहाँ 2022-23 में 110 लाख हेक्टेयर के क्षेत्रफल में 346 लाख टन मक्का का उत्पादन हुआ।