iGrain India - नई दिल्ली। ऐसी चर्चा है कि केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने इस वर्ष करीब 373 लाख टन गेहूं की विशाल खरीद सुनिश्वित करने के लिए आक्रामक प्लान बनाया है क्योंकि केंद्रीय पूल में इसका स्टॉक घटकर पिछले सात साल के निचले स्तर पर आ गया है और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को प्रधानमंत्री गरीब
कल्याण अन्न योजना के साथ-साथ कुछ अन्य स्किम को भी संचालित करता है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि 1 अप्रैल 2024 को खाद्य निगम के पास 76.60 लाख टन के न्यूनतम आवश्यक बफर मात्रा से भी कम गेहूं का स्टॉक बच जाएगा। पिछले 16 वर्षो में यह पहला अवसर होगा जब गेहूं का स्टॉक बफर मात्रा से नीचे आएगा। ऐसी हालत में यदि चालू वर्ष के दौरान गेहूं की जोरदार सरकारी खरीद नहीं हुई तो आगे विषम परिस्थिति उतपन्न हो सकती है।
चालू पहले आरम्भ में खाद्य मंत्रालय ने कहा था कि चालू वर्ष के दौरान 300-320 लाख टन के बिच गेहूं की खरीद का प्रयास किया जाएगा। आवक के आधार इसकी खरीद प्रक्रिया 1 अप्रैल को निश्चित एक माह पूर्व यानि 1 मार्च से आरम्भ की जाएगी।
देश में सबसे प्रमुख गेहूं का उत्पादक राज्य उत्तरप्रदेश में इस बार 60 लाख टन का रिकार्ड खरीद का कदम रखा गया है लेकिन अभी तक वहां केन्द्रीय पूल के लिए इसकी भी आरम्भ नहीं हो सकी है। मालूम हो कि वहाँ 1 मार्च से ही गेहूं की खरीद शुरू होनी थी और इसके लिए सभी आवश्यक तैयारी भी हो गई थी। अब सरकार का इरादा अप्रैल में गेहूं की अधिकतम खरीद सुनिश्चित करने का है। समझा जाता है कि राज्य सरकार ने तकरीबन 50 बड़े-बड़े व्यापारियों, स्टॉकिस्टों एवं फ्लोर मिलर्स से कहा है कि जब तक सरकारी खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं हो जाता है तब तक वे गेहूं की खरीद के लिए मंडियों में प्रवेश न करें। फ्लोर मिलर्स ने जब कहा कि उसके पास अपनी इकाइयों को चलने के लिए गेहूं का स्टॉक नहीं है तब अधिकारियो ने कहा कि वे केवल अप्रैल की जरूरतों को पूरा करने मात्रा में गेहूं की खरीद सकते है।