iGrain India - कोयम्बटूर। सौदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन (सीमा) ने अपने सदस्यों के साथ-साथ अन्य मिलर्स को भी कपास की घबराहटपूर्ण लिवाली नहीं करने का सुझाव देते हुए कहा है कि वे कुछ लोगों द्वारा फैलाई जा रही अफवाह या गलत सूचना को नजरअंदाज कर दें। एसोसिएशन ने अपने सदस्यों से आग्रह किया है कि वे सिर्फ कपास उत्पादन एवं उपयोग समिति (सीसीपीसी) द्वारा जारी रिपोर्ट एवं बयानों के अनुरूप ही रुई खरीदने का प्लांट बनाएं। सीमा के चेयरमैन ने कहा है कि कपास के वास्तविक उपयोगकर्ताओं और खासकर टेक्सटाइल मिलों को सीसीपीसी द्वारा समय-समय पर की जाने वाली सिफारिश के आधार पर केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के वस्त्र आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी आकड़ों-अनुमानों पर ही भरोसा करना चाहिए। इसके अलावा यदि कोई बयान या सूचना के लिए प्रेस विज्ञप्ति जारी होती है तो उस पर विश्वास न करें।
इससे पूर्व सीमा के चेयरमैन ने जब फरवरी के दूसरे पखवाड़े के दौरान रुई का घरेलू बाजार भाव 55,300 रुपए प्रति कैंडी (350 किलो) से अचानक बढ़कर 61,500 रुपए प्रति कैंडी पर पहुंचा था, तब भी इसी तरह का सुझाव दिया था कि जल्दबाजी में रुई की खरीद ऊंचे दाम पर करने से बचना चाहिए क्योंकि कपास की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति काफी हद तक सुगम कमी हुई है। चेयरमैन के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति (आईसीएसी) ने भी कहा है कि फंडामेंटल के आधार पर नहनी बल्कि सटोरिया गतिविधि के कारण रुई का वैश्विक बाजार भाव तेज हो रहा है जो बाद में घटकर नीचे आ सकता है। इधर सीसीपीसी ने 14 मार्च 2024 को आयोजित एक मीटिंग में 2023-24 सीजन के दौरान 323 लाख गांठ कपास के उत्पादन, 61 लाख गांठ के बकाया स्टॉक एवं 12 लाख गांठ के आयात का अनुमान व्यक्त किया था।