iGrain India - कोच्चि। वैश्विक बाजार में कालीमिर्च के प्रचलित ऊंची भाव से भारतीय उत्पादकों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है क्योंकि इसमें जहां एक तरफ विदेशों से इसके आयात की गति धीमी पड़ सकती है वहीँ दूसरी ओर देश से इसका निर्यात बढ़ने के आसार हैं। विदेशों से आयातित कालीमिर्च का खर्च अब घरेलू बाजार भाव के लगभग बराबर हो गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वियतनामी कालीमिर्च का आयात भी अब सस्ता नहीं बैठ रहा है। इस बार भारत में कालीमिर्च का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है। नई फसल की तुड़ाई-तैयारी जारी है। इससे निर्यात के लिए स्टॉक बढ़ सकता है।
पिछले करीब एक साल से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कालीमिर्च का भाव 3300 से 4400 डॉलर प्रति टन के बीच चल रहा था जो अब ऊंचा हो गया। भारत में कालीमिर्च का न्यूनतम आयात मूल्य 500 रुपए प्रति किलो नियत है जबकि वियतनाम से आयातित माल पर लगभग 46 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगता है। कंसोर्टियम ऑफ़ पेपर ग्रोअर्स एसोसिएशन का कहना है कि पहली बार ऐसा हुआ है कि कालीमिर्च का वैश्विक बाजार भाव घरेलू बाजार मूल्य के समकक्ष आया है।
कंसोर्टियम के अनुसार घरेलू बाजार में कालीमिर्च का दाम 515-520 रुपए प्रति किलो चल रहा है जबकि वियतनाम से आयातित माल का भारत पहुंच खर्च करीब 550 रुपए प्रति किलो बैठेगा। इसके फलस्वरूप वहां से इसका आयात लाभदायक नहीं होगा। वियतनाम में इस बार उत्पादन घटने से कालीमिर्च का भाव ऊंचा चल रहा है और वहां से इसके निर्यात में भारी कमी आ रही है। वहां भी नई फसल तैयार होकर आने लगी है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार यदि कीमतों में वर्तमान रुख बरकरार रहा तो भारत को कालीमिर्च का निर्यात कुछ बढ़ाने का अवसर मिल सकता है। इंडियन पीपर एंड स्पाईसेज़ ट्रेडर्स एसोसिएशन (इप्सता) के डायरेक्टर का कहना है कि कालीमिर्च का वैश्विक बाजार भाव आगे कुछ और बढ़ सकता है जिससे भारत को फायदा होगा।