iGrain India - नई दिल्ली। पिछले दो वर्षों के दौरान लक्ष्य से कम खरीद होने तथा खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 94.10 लाख टन की रिकॉर्ड बिक्री होने के कारण केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक घटकर 77.30 लाख टन पर अ आज्ञा है जो गत 16 वर्षों का न्यूनतम स्तर है। प्रचलित नियम के अनुसार प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल को खाद्य निगम के पास कम से कम 74.60 लाख टन गेहूं का बफर स्टॉक अवश्य रहना चाहिए। इससे पूर्व अंतिम बार वर्ष 2008 में गेहूं का स्टॉक वर्तमान स्तर से नीचे रथ जब वह महज 58 लाख टन रह गया था।
जहां तक सरकारी खरीद की बात है तो वर्ष 2021 में 433 लाख टन गेहूं की रिकॉर्ड खरीद हुई थी मगर 2022 में यह लुढ़ककर 188 लाख टन रह गयी। 2023 में भी 262 लाख टन गेहूं खरीदा गया जो नियत लक्ष्य 341.50 लाख टन से काफी कम था।
इस बार केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने 1120.20 लाख टन गेहूं के रिकॉर्ड घरेलू उत्पादन का अनुमान लगाया है मगर खाद्य मंत्रालय ने इसकी खरीद का लक्ष्य महज 300-320 लाख टन निर्धारित किया है। समझा जाता है कि यह लक्ष्य आसानी से हासिल हो सकता है क्योंकि इसके लिए सरकार ने सटीक रणनीति बनाई है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में किसानों से 2400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं ख़रीदा जाएगा। पंजाब-हरियाणा में ऊंचे मंडी टैक्स के कारण मिलर्स एवं व्यापारी भारी मात्रा में गेहूं खरीदना पसंद नहीं करते जबकि उत्तर प्रदेश में म्लार्स को केवल सीमित मात्रा में गेहूं खरीदने की अनुमति दी गयी है।