iGrain India - नई दिल्ली। हालाँकि देश के कुछ भागों में तापमान बढ़ने लगा है जो खासकर गेहूं की फसल के लिए चिंता का विषय है लेकिन कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मी काफी लेट से शुरू हुई है इसलिए फसल पर ज्यादा प्रति कूल असर नहीं पड़ेगा। केंद्रीय पूल में भारी योगदान देने वाले प्रमुख उत्पादक राज्यों-पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान आदि में गेहूं की फसल इस ऊंचे तापमान से काफी हद तक सुरक्षित है। वहां फसल पकने लगी है और कहीं-कहीं कटाई-तैयारी भी आरंभ हो गयी है। इन प्रान्तों क साथ-साथ मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र एवं गुजरात मीब ही दिन का तापमान बढ़ने लगा है। देश में 90 प्रतिशत से अधिक गेहूं का उत्पादन इन्हीं आठ राज्यों में होता है।
केंद्र सरकार समूचे देश में गेहूं की फसल पर करीबी नजर रखे हुए है और इसकी गहन निगरानी कर रही है। कृषि मंत्रालय ने चालू वर्ष के दौरान गेहूं का घरेलू उत्पादन 1120 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है।
करनाल (हरियाणा) स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक का कहना है कि जिन इलाकों में तापमान बढ़कर 41 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है वहां गेहूं की अधिकांश फसल की कटाई पूरी हो चुकी है। यद्यपि मंडियों में गेहूं के नए माल की आवक की गति धीमी है लेकिन कुल मिलाकर इस बार मौसम की हालत फसल के लिए सर्वाधिक अनुकूल मानी जा सकती है। कृषि वैज्ञानिक के अनुसार जब तक उच्चतम तापमान 38 डिग्री से ऊपर नहीं पहुँचता और न्यूनतम तापमान 27 डिग्री को पार नहीं करता है तब तक गेहूं की फसल के लिए कोई खतरा नहीं है। जब तक तापमान इस स्तर पर पहुंचेगा तब तक समूचे देश में गेहूं फसल की कटाई-तैयारी पूरी हो चुकी होगी। अगले महीने के प्रथम सप्ताह से गेहूं की कटाई जोर पकड़ने लगेगी और इसके साथ ही दूसरी सरकारी खरीद की गति भी तेज हो जाएगी।