iGrain India - जयपुर । सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) तथा सोलिडरी ट्रेड द्वारा संयुक्त रूप से 2020-21 में मस्टर्ड मॉडल फार्म प्रोजेक्ट लांच किया गया था जिसका उद्देश्य बेहतर कृषि पद्धति एवं उन्नत संसाधनों के साथ सरसों की उपज दर में सुधार लाकर पैदावार बढ़ाना था।
इसमें एसोसिएशन को शानदार सफलता हासिल हुई है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 2019-20 से 2023-24 के पांच सीजन के दौरान सामान्य क्षेत्र में सरसों की औसत उपज दर 1690 किलो प्रति हेक्टयेर से सुधरकर 1787.5 किलो प्रति हेक्टेयर पर पहुंची जबकि मॉडल फार्म में यह उत्पादकता दर इसी अवधि में 2070 किलो प्रति हेक्टेयर से उछलकर 2414.8 किलो प्रति हेक्टेयर पर पहुंच गई। इस तरह सामान्य औसत उपज दर के मुकाबले मॉडल फार्म में उत्पाकदता दर 36 प्रतिशत ऊंची रही।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सामान्य क्षेत्र में सरसों की औसत उपज दर 2019-20 में 1690 किलो प्रति हेक्टेयर, 2020-21 में 1916 किलो, 2021-22 में 1870 किलो, 2022-23 में 1816.6 किलो एवं 2023-24 में 1645 किलो प्रति हेक्टेयर रही जबकि मॉडल फार्म में औसत उत्पादकता दर 2019-20 में 2070 किलो प्रति हेक्टेयर, 2020-21 में 2730 किलो, 2021-22 में 2860 किलो, 2022-23 में 2373.2 किलो तथा 2023-24 में 2040.6 किलो प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई।
'सी' द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार एसोसिएशन भारत में सरसों का उत्पादन नियमित रूप से बढ़ाने के अपने संकल्प ने साथ अग्रसर है।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक देश के पांच राज्यों में 1.25 लाख से अधिक किसानों को शामिल करते हुए 3500 से ज्यादा मॉडल फार्म विकस्ति किए जा चुके हैं इस स्टिक प्रयास के साथ-साथ मौसम की अनुकूल स्थिति एवं बेहतर कीमत के कारण भारत में सरसों का उत्पादन वर्ष-प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है।
सरसों का घरेलू उत्पादन 2020-21 के सीजन में 86 लाख टन हुआ था जो 2021-22 में बढ़कर 110 लाख टन तथा 2022-23 में सुधरकर 113.50 लाख टन पर पहुंच गया। सरसों के बिजाई क्षेत्र में भी वृद्धि हुई।
इसका क्षेत्रफल 2020-21 में 67 लाख हेक्टेयर था जो 2022-23 तक आते -आते बढ़कर 88 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। 2023-24 के वर्तमान रबी सीजन में सरसों का घरेलू उत्पादन उछलकर 120 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाने की उम्मीद है। इसका बिजाई क्षेत्र 100 लाख हेक्टेयर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा।
मस्टर्ड मॉडल फार्म प्रोजेक्ट वर्ष 2020-21 में राजस्थान के 5 जिलों में केवल 400 मॉडल फार्म के साथ आरंभ हुआ था। 2021-22 में राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी इसका विस्तार हुआ और मॉडल फार्म की संख्या में 500 की बढ़ोत्तरी हुई।
2022-23 में 1234 नए मॉडल फार्म विकसित किए गए और राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश के अयोध्या धाम तथा पंजाब के संगरूर में इसका विस्तार हुआ। 2023-24 में वाराणसी (यूपी) तथा कर्नाटक में नए मॉडल फार्म विकसित किये गए और अब इन पांच राज्यों में मॉडल फार्म की कुल संख्या 3500 से भी ऊपर पहुंच गई है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के अध्यक्ष का कहना है कि मस्टर्ड मॉडल फार्म प्रोजेक्ट की सफलता इसके आंकड़ों से साफ झलकती है। इस मॉडल फार्म में सरसों की उपज दर सामान्य खेतों की तुलना में काफी ऊंची रहती है।
यदि इस कृषि पद्धति से खेती की जाए तो राष्ट्रीय स्तर पर सरसों की उत्पादकता एवं कुल पैदावार में भारी इजाफा हो सकता है जो देश के लिए आवश्यक भी है। सरसों का उत्पादन बढ़ने से स्वदेशी स्रोतों में खाद्य तेलों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ेगी और विदेशों से इसका आयात घटाने में मदद मिलेगी।