iGrain India - हैदराबाद । तेलंगाना के विभिन्न भागों में सूखे जैसा माहौल बना हुआ है जिससे रबी कालीन फसलों और खासकर धान तथा दलहन की फसल को नुकसान हो रहा है। विपक्षी दल नियमित रूप से सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं।
अब तक खबर आ रही है कि राज्य सरकार ने फसलों की क्षति का आंकलन करने के लिए प्रयास आरंभ कर दिया है। सरकार सतही स्तर (ग्राउंड लेबल) पर फसल नुकसान का विस्तृत ब्यौरा (एकत्रित करने के प्रति गंभीर है।
आधिकारिक सूत्रों ने संकेत दिया है कि कृषि विभाग जिला प्रशासन से फसल नुकसान का विकल्प मंगवाने में सक्रियता दिखा रहा है। जो जिले सबसे ज्यादा या बुरी तरह प्रभवित हुए हैं वहां आंकलन की प्रक्रिया निर्बाध रूप से जारी है जबकि अन्य जिलों में गिरदावरी अभी शुरू नहीं हुई है।
सूत्रों के मुताबिक जब सम्पूर्ण विवरण तैयार (संकलित) हो जाएगा तब कृषि विभाग फसल नुकसान की हद (सीमा) के बारे में सरकार के पास अपनी रिपोर्ट जमा कर देगा।
समझा जाता है कि राज्य सरकार फसल नुकसान के एवज में क्षतिपूर्ति का निर्णय लोकसभा चुनाव खत्म होने या चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता की अवधि बीतने के बाद ही ले सकती है। सरकार सूखे के मुद्दे से निपटने के लिए तैयार है और इसके लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए जा रहे हैं।
सरकारी सूत्रों ने खुलासा किया है कि तेलंगाना में ग्रीष्मकाल के दौरान सूखे जैसी स्थिति बनने की भविष्यवाणी अक्टूबर 202 में ही की गई थी लेकिन तत्कालीन सरकार ने इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया।
पिछली सरकार को उम्मीद थी कि आगे चलकर मौसम की हालत ठीक हो जाएगी। अन्य दक्षिणी राज्यों की भांति तेलंगाना में भी बांधों और जलाशयों में पानी का स्तर काफी घट गया है।