iGrain India - ब्रिसबेन । ऐसा प्रतीत होता है कि आगामी सप्ताहों के दौरान ऑस्ट्रेलिया की मौजूदा फसल के चने की लोडिंग के लिए केवल एक ही कार्गो बचा हुआ है जबकि अगली नई फसल के लिए व्यपारिक गति विधियां बढ़ने वाली है।
फरवरी के अंतिम दिनों में दक्षिणी क्वींसलैंड प्रान्त के डार्लिंग डाउन्स की हाजिर या तात्कालिक डिलीवरी के लिए चना का भाव 840-850 डॉलर प्रति टन चल रहा था जबकि अगली कई फसल वाले चना का भाव बढ़कर अब 900 डॉलर प्रति टन के करीब पहुंच गया है।
पिछले महीने से अगली नई फसल के लिए अग्रिम अनुबंध की प्रक्रिया आरंभ हुई। व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि कुछ निर्यातक भारत के लिए इसकी खरीद का करार कर रहे हैं जबकि अन्य निर्यातक पाकिस्तान, नेपाल तथा बांग्ला देश आदि को शिपमेंट के लिए किसानों से चना खरीद के सौदे कर रहे हैं।
भारत में 4 जून को लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होगी। मौजूदा सरकार द्वारा फिलहाल ऐसी कोई घोषणा किए जाने की संभावना नहीं है जिससे किसान नाराज हो और वोट बैंक में बिगाड़ आ जाए।
यद्यपि घरेलू उत्पादन कम होने की संभावना से सरकार चना के आयात की नीति को उदार बनाने पर विचार कर सकती है लेकिन इस सम्बन्ध में किसी निर्णय की घोषणा जून में ही संभव हो पाएगी।
भारत में रबी कालीन दलहन फसलों की कटाई-तैयारी जारी है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इस बार भारत में चना का उत्पादन घरेलू मांग एवं जरूरत से करीब 20 लाख टन कम हो सकता है।
हालांकि पीली मटर के विशाल आयात से इसकी भरपाई का प्रयास किया जा रहा है लेकिन देर-सबेर चना का आयात बढ़ने पर भी विचार किया जा सकता है। सरकार का इरादा 3 से 5 लाख टन तक पीली मटर के आयात का था जबकि इसका वास्तविक आयात 13 लाख टन के करीब पहुंच रहा है।