iGrain India - नई दिल्ली । भारत की सरकारी फर्म - नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लि० (एनसीईएल) तथा सिंगापुर के एग्रीगेटर के बीच विचारों में भिन्नता होने से उस द्वीपीय देश (सिंगापुर) को जून तक चावल के अभाव का सामना करना पड़ सकता है।
दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित सिंगापुर के लिए स्थिति इसलिए भी विकट हो गई है क्योंकि चेन्नई तथा थुथूकुड़ी वीओसी चिदम्बारानार में कस्टम अधिकारियों द्वारा नियमों एवं प्रक्रियाओं को काफी सख्त एवं जटिल बना दिया गया है। इसके फलस्वरूप भारत से सिंगापुर को 1 मार्च से अब तक केवल 250 टन चावल का ही शिपमेंट संभव हो सका है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने सितम्बर 2023 में ही सिंगपुर के लिए 50 हजार टन चावल के निर्यात का कोटा आवंटित कर दिया था मगर उसके एग्रीगेटर ने छह माह के बाद 13,750 टन चावल की खरीद के लिए टेंडर जारी किया है जिसमें इडली चावल, सोना मसूर, पोन्नी तथा एडीटी 36 चावल शामिल है।
सिंगापुर में सरकार के पास 50 हजार टन चावल का न्यूनतम स्टॉक हर समय मौजूद रहने का नियम लागू है जो तीन माह तक इसकी मांग एवं खपत को पूरा करने लायक होता है।
1 मार्च में भारत से केवल 250 टन चावल वहां मंगाया गया जबकि फरवरी में कितना चावल मंगाया गया था, इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। इससे वहां विषम स्थिति उत्पन्न होने की आशंका है।
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सिंगापुर के एग्रीगेटर ने अब कुछ ऐसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से सम्पर्क साधा है जिसकी अभी तक वहां चावल बाजार में कोई उपस्थिति नहीं रही है। भारत से सफेद चावल का व्यापारिक निर्यात बंद है।