iGrain India - नई दिल्ली । लोकसभा के लिए हो रहे चुनाव की प्रक्रिया जारी रहने से केन्द्र सरकार खाद्य महंगाई पर अंकुश लगाने का हर संभव प्रयास कर रही है।
टुकड़ी चावल, गैर बासमती सफेद चावल, गेहूं एवं इसके उत्पाद, प्याज और चीनी के व्यापारिक निर्यात पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है, खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने का अभी कोई प्लान नहीं है जबकि तीन महत्वपूर्ण दलहनों- तुवर, उड़द एवं मसूर के शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा को एक साल और पीली मटर के आयात की अवधि को दो माह तक बढ़ा दिया गया है।
सरकार का कहना है कि उसका ध्यान आम उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर खाद्य उत्पादों की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने पर केन्द्रित है।
हाल ही में जब एक उद्योग संस्था ने कम से कम चीनी की थोड़ी बहुत मात्रा के निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया तब सरकार ने उसे जून के प्रथम सप्ताह तक इस मुद्दे पर दबाव नहीं डालने के लिए कह दिया।
संकेत स्पष्ट था कि जब तक आम चुनाव की प्रक्रिया समाप्त नहीं हो जाती है तब तक सरकार उद्योग व्यापार क्षेत्र के किसी भी दबाव में नहीं आएगी।
सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती जिससे खाद्य महंगाई बढ़ने की थोड़ी सी भी गुंजाईश हो और खासकर आवश्यक वस्तुओं के दाम में वृद्धि हो।
जून के बाद भी खाद्य उत्पादों के दाम को नियंत्रित रखने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए अनेक प्रयास हो सकते हैं जिसमें एक प्रयास मध्य जून से केंद्रीय पूल से गेहूं की दोबारा बिक्री करने का संकेत दिया है।
यह देखना भी जरुरी होगा कि उपभोक्ता खाद्य उत्पादों के निरयत पर प्रतिबंध कब तक लागू रहता है। इधर घरेलू प्रभाग में भी उद्योग-व्यापार क्षेत्र पर कुछ बंदिशे लगी हुई हैं। उसमें कब तक और कितनी रियायत दी जाएगी इसका पता चुनाव समाप्त होने के बाद ही चल सकेगा।