iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की अधिनस्थ एजेंसी- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) ने अफ्रीकी देश- कोट डी आइवरी को 25 प्रतिशत रहे और बासमती सफेद चावल की 35 हजार टन मात्रा के निर्यात के लिए जो टेंडर जारी किया था उसे उच्चतम न्यायालय की मंजूरी मिल गई है।
इससे पूर्व दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इसकी स्वीकृति प्रदान की थी। राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने नैफेड के इस टेंडर को कोर्ट में चुनौती देते हुए अपील की थी कि नैफेड को अधिकतम पारदर्शिता के साथ एक नया टेंडर जारी करने का निर्देश दिया जाए।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 28 फरवरी को एसोसिएशन की याचिका को खरिज कर दिया था और नैफेड के टेंडर को सही बताया था। अदालत ने कहा था कि नैफेड का टेंडर न तो मनमाना है और न ही एसोसिएशन या उसके सदस्यों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
इसने एसोसिएशन ने किसी फैसिलिटेटिंग एजेंसी के साथ अथवा उसके बगैर पूर्ण पारदर्शी तरीके से एक नया टेंडर जारी करने की प्रक्रिया की मांग करते हुए कहा था कि इसमें भाग लेने तथा सक्षम होने के लिए सभी चावल निर्यातकों को समान अवसर दिया जाना चाहिए।
इस टेंडर प्रक्रिया की मॉनिटरिंग के लिए इन्डियन राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन को फैसिलिटेटिंग एजेंसी के तौर पर नियुक्त किए जाने के निर्णय का विरोध करते हुए एसोसिएशन ने उसके साथ हितों का टकराव होने का आरोप लगाया था
लेकिन उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायलय ने एसोसिएशन की अपील नहीं मानी और नैफेड के टेंडर जारी करने की प्रक्रिया को सही ठहराया। सरकार ने कोट डी आइवरी के लिए चावल का कोटा नियत किया था।