iGrain India - रोहतक । केन्द्रीय पूल में गेहूं का योगदान देने वाले तीसरे सबसे प्रमुख राज्य- हरियाणा में इस वर्ष फरवरी तक फसल की हालत उत्साहवर्धक रही थी मगर मार्च में राज्य के कुछ जिलों में तेज हवा के साथ भारी बेमौसमी वर्षा होने तथा ओले गिरने से रबी कालीन फसलें आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गई।
समझा जाता है कि इसका सर्वाधिक असर रोहतक जिले में पड़ा है जिसे वहां करीब 20 प्रतिशत फसल चौपट हो गई। इससे किसानों की चिंता बढ़नी स्वाभाविक ही है क्योंकि उत्पादन कम होने से उसे भारी नुकसान हो सकता है।
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रोहतक जिले में गेहूं का रकबा 2022-23 के करीब सीजन में 1.03 लाख हेक्टेयर रहा था और इसकी औसत उपज दर 41.70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई थी।
इसके मुकाबले 2023-24 के वर्तमान रबी सीजन में बिजाई क्षेत्र तो सुधरकर 1.04 लाख हेक्टेयर हो गया मगर फसल की उत्पादकता दर करीब 20 प्रतिशत गिरकर 33 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के आसपास रह जाने की संभावना है।
मार्च माह में रोहतक सहित हरियाणा के कम से कम आधा दर्जन जिलों में तेज हवा के प्रवाह के साथ असामयिक बारिश एवं ओलावृष्टि हुई थी जिससे गेहूं के पौधे जमीन पर गिर गए थे और पानी तहत कीचड़ में धंस गए थे।
हालांकि बाद में मौसम सफ होने से फसल की काफी हद तक रिकवरी हो गई लेकिन गंभीर रूप से प्रभावित इलाकों में इसकी हालत कमजोर मानी जा रही है।
हरियाणा में गेहूं फसल की कटाई-तैयारी तो आरंभ हो गई है मगर श्रमिकों का अभाव होने से इसमें समस्या आ रही है। इसके फलस्वरूप हार्वेस्टर मशीनों की मांग काफी बढ़ गई है। शीघ्र ही मंडियों में नए गेहूं की आवक बढ़ने की उम्मीद है।