iGrain India - नई दिल्ली । प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में सरसों का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आने के कारण सरकारी एजेंसी- नैफेड ने किसानों से इसकी खरीदारी आरंभ कर दी है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय इस वर्ष देश में 126.90 लाख टन सरसों के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया है। मंत्रालय ने इस बार मूल्य समर्थन योजना (पीएसपी) के तहत करीब 30 लाख टन (जून-28.20 लाख टन) सरसों की खरीद का लक्ष्य रखा है।
फिलहाल दो केन्द्रीय एजेंसियां- नैफेड तथा एनसीसीएफ द्वारा सरसों की खरीद की जा रही है। सरसों के प्रमुख उत्पादक प्रांतों- राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा एवं गुजरात आदि में इस तिलहन फसल की खरीद होगी।
इन दोनों एजेंसियों द्वारा अभी तेल 80 हजार टन से कुछ अधिक सरसों की खरीदारी की जा चुकी है। आगामी सप्ताहों के दौरान खरीद की रफ्तार तेज होने की संभावना है।
सरकार ने 2023-24 के वर्तमान सीजन हेतु सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5650 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया है जो 2022-23 के समर्थन मूल्य 5450 रुपए प्रति क्विंटल से 200 रुपए ज्यादा है।
इसके मुकाबले देश के सबसे प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में से एक- भरतपुर (राजस्थान) में सरसों का भाव 5100 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने फरवरी में कहा था कि अगर सरसों का थोक मंडी भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आता है।
तो सरकार इसकी खरीद के लिए बाजार में हस्तक्षेप करेगी। हालांकि मार्च में दाम घटकर काफी नीचे आ गया था मगर सरकारी खरीद अप्रैल में ही शुरू हो सकी।
समझा जाता है कि सरकारी खरीद आरंभ होने की उम्मीद से किसानों ने सरसों का स्टॉक रोकना शुरू कर दिया था जो अब उतारा जा सकता है।
इससे सरकारी क्रय केन्द्रों पर सरसों की आवक तेजी से बढ़ने के आसार है। सभी राज्यों में नई फसल की कटाई-तैयारी पहले ही शुरू हो चुकी है। मार्च से मई तक मंडियों में इसकी विशाल मात्रा की आवक होती है।