iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने कहा है कि उसने बफर स्टॉक को बरकरार रखने के लिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर चना की खरीदारी आरंभ कर दी है ताकि इसकी कीमतों को नियंत्रित करने तथा उन राज्यों की मांग को पूरा करने में सहायता मिल सके जो अपनी कल्याणकारी योजनाओं के तहत इसका वितरण करना चाहते हैं।
केन्द्रीय उपभोक्ता भाव के सचिव निधि खरे ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने चना का उत्पादन स्थिर है होने का संकेत दिया है और फिलहाल इसकी पैदावार के प्रति कोई चिंता की बात नहीं है।
इस बीच राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि व्यापारी, आयातक एवं मिलर्स अपने दलहन स्टॉक पोजीशन की घोषणा नियमित रूप से करे।
यह नियम 15 अप्रैल से प्रभावी हो जाएगा। इसका उद्देश्य दाल-दलहनों की समुचित आपूर्ति व्यवस्था को बरकरार रखना तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाना है।
उपभोक्ता मामले विभाग ने आज (10 अप्रैल को) कस्टम्स के पास मौजूद आयातित दलहनों के मामले पर विचार-विमर्श करने के लिए आयातकों, व्यापारियों, सीमा शुल्क अधिकारियों एवं राज्यों के अधिकारियों की एक मीटिंग बुलाई है।
सरकार चाहती है कि विदेशों से दलहनों का जो आयात हो रहा है उसे भारतीय बंदरगाहों पर सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा जल्दी से जल्दी क्लीयरेंस मिले ताकि वह दलहन घरेलू बाजार में पहुंचे।
चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2022-23 सीजन के 5335 रुपए प्रति क्विंटल से 105 रुपए बढ़ाकर इस बार 5440 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया है।
उपभोक्ता मामले सचिव का कहना था कि मंडियों में आवक बढ़ने से चना का भाव कुछ नरम पड़ा है और यह न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास आ गया है।
इसकी सरकारी खरीद भी अब शुरू कर दी गई है। मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) स्किम के तहत नैफेड एवं एनसीसीएफ को चना की खरीद का दायित्व सौंपा गया है।