iGrain India - नई दिल्ली । दाल-दलहन के घरेलू बाजार भाव में आ रही तेजी पर अंकुश लगाने हेतु केन्द्र सरकार तमाम उपाय कर रही है। इसी शृंखला की एक कड़ी के रूप में राज्यों को 15 अप्रैल से प्रत्यके सप्ताह दलहनों के स्टॉक का खुलासा अनिवार्य रूप से करने का निर्देश दिया गया है।
5 अप्रैल को सभी राज्यों को भेजे गए एक पत्र में केन्द्र सरकार ने कहा है कि यह आदेश केन्द्रीय भंडारण निगम डीलर्स, स्टॉकिस्ट, आयातक तथा कस्टम वेयरहाउस पर भी लागू होगा।
इस सम्बन्ध में सरकार विभिन्न राज्यों, नैफेड, एनसीसीएफ, मिलर्स, आयातक एवं अन्य सम्बन्ध पक्षों के साथ नियमित रूप से मीटिंग कर रही है आधिकारिक सूत्रों के अनुसार म्यांमार से आयातित अधिकांश तुवर की डिलीवरी हो चुकी है और पीली मटर का भी विशाल आयात हो रहा है।
सरकार दाल-दलहनों का घरेलू बाजार भाव नियंत्रित करने का हर संभव प्रयास कर रही है। तुवर के दाम में हो रही वृद्धि के कारण चना एवं मसूर की कीमतों में भी थोड़ी तेजी आ गई थी।
त्यौहारी मांग एवं विभिन्न राज्यों द्वारा मिड डे मील योजना में दालों को सम्मिलित किए जाने के कारण दलहनों का भाव तेज हो रहा है। अक्टूबर 2023 तक केवल दो राज्यों- तमिलनाडु एवं गुजरात में ही स्कूलों के मध्याह्न भोजन (मिड डे मील) में दालों को शामिल किया गया था मगर अब ऐसे राज्यों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है।
भारत दाल स्कीम के तहत 16 लाख टन चना की खरीद की गुजांइश है जबकि सामान्य बफर स्टॉक के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चना की खरीद आरंभ हो गई है जो जून 2024 तक जारी रहेगी।
सरकार के पास फिलहाल करीब 7 लाख टन चना का स्टॉक मौजूद है जो न्यूनतम बफर मात्रा 10 लाख टन से कम है। चूंकि घरेलू बाजार भाव घटकर अभी तक न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे नहीं आया है इसलिए सरकार को मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) स्कीम के तहत प्रचलित बाजार मूल्य पर चना की खरीद का निर्णय लेना पड़ रहा है। इससे किसानों को राहत मिलेगी।