iGrain India - मुम्बई । भारत में खाद्य तेलों का आयात 2021-22 के मार्केटिंग सीजन की तुलना में 2022-23 के मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) में 17.4 प्रतिशत की भारी बढ़ोत्तरी के साथ 165 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया जिसका प्रमुख कारण सीमा शुल्क की दर में भारी कटौती होना तथा वैश्विक बाजार भाव नीचे रहना माना जाता है।
क्रूड खाद्य तेलों पर केवल 5.5 प्रतिशत का शुल्क लागू है। सरकार ने पाम तेल, सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल पर निम्नस्तरीय आयात शुल्क की समय सीमा को 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है।
विशाल मात्रा में सस्ते खाद्य तेलों का आयात होने के असर से फरवरी 2024 में सरसों तेल में महंगाई की दर में 18.14 प्रतिशत की भारी गिरावट आई गई।
देश में खाद्य तेलों की वार्षिक मांग 250 लाख टन के करीब पहुंच गई है जिसके 58 प्रतिशत भाग को विदेशों से आयात के जरिए पूरा किया जाता है।
भारत में मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया एवं थाईलैंड से पाम तेल, अर्जेन्टीना-ब्राजील से सोयाबीन तेल तथा रूस-यूक्रेन से सूरजमुखी तेल मंगाया जाता है।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2022 में सरकार ने वर्ष 2024 के अंत तक 2020 लाख टन क्रूड सोयाबीन तेल एवं क्रूड सूरजमुखी तेल के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी थी।
चूंकि इनसे आयात खर्च में भारी कमी आ गई इसलिए सरकार ने आम उपभोक्ता को इसका फायदा देने के लिए प्रोसेसर्स पर दबाव बढ़ाया। इसके बाद जून 2023 में केन्द्र सरकार ने रिफाइंड सोयाबीन तेल एवं रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर आधारभूत आयात शुल्क की दर को 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत नियत कर दिया ताकि खाद्य तेलों का भाव नरम पड़ सके।
इसका सार्थक परिणाम सामने आया और जुलाई 2023 में खाद्य तेलों की महंगाई दर 16.80 प्रतिशत रह गई। इन दोनों खाद्य तेलों पर उससे पूर्व अंतिम बार आयात शुल्क को अक्टूबर 2021 में 32.5 प्रतिशत से घटाकर 17.5 प्रतिशत पर लाया गया था।
वैसे सीमा शुल्क में भारी कटौती होने के बावजूद देश रिफाइंड सोयाबीन तेल एवं रिफाइंड सूरजमुखी तेल का आयात नहीं या नगण्य हुआ।