iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार का कहना है कि दलहनों की खरीद एवं पैदावार बढ़ाने के तौर तरीकों पर विभिन्न राज्यों के साथ बातचीत की जा रही है। इसके लिए झारखंड जैसे कुछ गैर परम्परागत राज्यों में बड़े पैमाने पर दलहनों की खेती को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है।
विसभन्न कल्याणकारी कार्यक्रमों एवं योजनाओं के माध्यम से वितरण के लिए राज्य सरकारों की तरफ से चना की भारी मांग की जाने लगी है इसलिए बफर स्टॉक में इसकी उपलब्धता पर दबाव बढ़ने लगा है।
पहले केवल 3-4 राज्य की कल्याणकारी स्कीमों के लिए बफर स्टॉक से चना का उठाव करते थे जबकि अब 16 प्रान्त केन्द्र से चना की खरीद कर रहे हैं ताकि अपनी पोषण सुरक्षा को सुनिश्चित कर सके।
अब चार अन्य प्रांतों- कर्नाटक, सिक्किम एवं अरुणाचल प्रदेश आदि ने केन्द्र से चना की आपूर्ति करने का आग्रह किया है। राज्य सरकार मुख्यत: दो योजनाओं के तहत केन्द्र से चना मंगा रही है। जिसमें पीडीएस तथा मिड डे मिल शामिल है।
अक्टूबर 2022 से अब तक राज्य सरकारों द्वारा रियायती मूल्य पर केन्द्र से करीब 8 लाख टन साबुत चना की खरीद की जा चुकी है जिसे कृषि मंत्रालय ने मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत किसानों से खरीदा था।
इसी तरह मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) स्कीम के तहत खरीदे गए लगभग 16.50 लाख टन साबुत चना भारत ब्रांड दाल की बिक्री के लिए जारी किया जा रहा है। इसमें जुलाई 2023 से राज्य सरकारों को रियायती मूल्य पर होने वाली बिक्री भी शामिल है।
वर्तमान समय में सरकार के पास करीब 10 लाख टन चना का बफर स्टॉक मौजूद है जिसकी खरीद पीएसएफ स्कीम के अंतर्गत की गई थी। चना का उत्पादन इस बार लगभग सामान्य होने की उम्मीद है। कृषि मंत्रालय ने इसकी पैदावार में ज्यादा गिरावट नहीं आने का संकेत दिया है।