iGrain India - नई दिल्ली । मौसम विशेषज्ञों ने चालू वर्ष के दौरान भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून का आगमन नियत समय से कुछ पहले होने तथा मानसून सीजन के दौरान अधिक वर्षा होने का अनुमान व्यक्त किया है क्योंकि एक तो अल नीनो का प्रभाव समाप्त होने से ला नीना मौसम चक्र का असर बढ़ेगा और दूसरे, हिन्द महासागर के डायपोल (आईओडी) की सक्रियता बढ़ेगी।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा जल्दी ही मानसून सीजन के लिए दीर्घावधि वर्षा का अनुमान घोषित किए जाने की संभावना है जिसका बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। मानसून की वर्षा खरीफ फसलों के लिए जीवन दायिनी साबित होती है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार पिछले साल अल नीनो मौसम चक्र के गंभीर प्रकोप से दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता एवं तीव्रता प्रभावित हुई है और खासकर अगस्त 2023 में बारिश बहुत कम होने से देश के अनेक राज्यों में सूखे जैसे हालात बन गए थे।
लेकिन इस वर्ष परिस्थितियां काफी हद तक अनुकूल रहने की उम्मीद है। ला नीना मौसम चक्र भारतीय मानसून के लिए हितैषी माना जाता है।
खरीफ फसलों के शानदार उत्पादन के लिए मानसून की अच्छी वर्षा होना अत्यन्त आवश्यक है। जून से सितम्बर के चार महीनों तक सक्रिय रहने वाले दक्षिण पश्चिम मानसून के सीजन में करीब 70 प्रतिशत वर्षा होती है जबकि शेष 30 प्रतिशत बारिश अन्य महीनों में होती है।
खरीफ फसलों की बिजाई एवं प्रगति भी इन्हीं महीनों में होती है जबकि सितम्बर में मानसून के प्रस्थान करने के बाद अक्टूबर से इन फसलों की कटाई-तैयारी शुरू हो जाती है।
खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों में धान, अरहर (तुवर) , उड़द, मूंग, सोयाबीन, मूंगफली, अरंडी, मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी, कपास तथा गन्ना आदि शामिल है। जूट (पटसन) की खेती भी इसी सीजन में होती है।
अधिकांश मौसम मॉडल विषुवतीय हिन्द महासागर के ऊपर सकारात्मक आईओडी फेज का संकेत दे रहे हैं जबकि प्रशांत महासागर में ला नीना मौसम चक्र के निर्माण के लक्ष्य दिखाई पड़ रहे हैं। ये दोनों कारक मानसून के लिए मददगार सबित होंगे।