iGrain India - नई दिल्ली । अब तक के आंकड़ों से स्पष्ट संकेत मिलता है कि वित्त वर्ष 2023-24 की सम्पूर्ण अवधि (अप्रैल-मार्च) के दौरान भारत से चावल का कुल निर्यात 160 लाख टन से नीचे रह सकता है।
हालांकि मार्च 2024 का आधिकारिक आंकड़ा अभी सामने नहीं आया है मगर फरवरी तक का आंकड़ा इसका संकेत दे रहा है।
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ निकाय- कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 के 11 महीनों में देश से केवल 100.81 लाख टन गैर बासमती चावल का निर्यात हो सका जो वित्त वर्ष 2022-23 की समान अवधि के शिपमेंट 160.97 लाख टन से काफी कम रहा।
इसके फलस्वरूप इस चावल की निर्यात आमदनी भी 5.729 अरब डॉलर से 28.60 प्रतिशत घटकर 4.092 अरब डॉलर पर सिमट गई।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार 100 प्रतिशत टूटे चावल (ब्रोकन राइस) तथा गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लागू होने के कारण देश से चावल के कुल निर्यात में भारी गिरावट आ रही है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने पहले सितम्बर 2022 में टुकड़ी चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी और फिर जुलाई 2023 में गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात करने पर भी रोक लगा दी।
इसके बाद अगस्त 2023 में गैर बासमती सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू किया गया और बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य निर्धारित किया गया। इस न्यूनतम निर्यात मूल्य को बाद में घटाकर 950 डॉलर प्रति टन नियत किया गया।
बासमती चावल का निर्यात कुछ समय के लिए प्रभावित हुआ लेकिन जल्दी ही इसका प्रदर्शन सुधर गया और पश्चिम एशियाई देशों की भारी मांग के कारण इसका निर्यात पिछले साल से काफी आगे निकल गया।
एपीडा के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल 2022 से फरवरी 2023 के दौरान देश से 41 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था
जो अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 के 11 महीनों में बढ़कर 46.80 लाख टन के करीब पहुंच गया। इसके फलस्वरूप इसकी निर्यात आय भी 4.287 अरब डॉलर से 22 प्रतिशत बढ़कर 5.229 अरब डॉलर पर पहुंच गई।