iGrain India - मंगलोर । रोबस्टा कॉफी का घरेलू बाजार भाव अप्रत्यशित रूप से उछलकर पिछले सप्ताह 10,080 रुपए प्रति बोरी (50 किलो) के शीर्ष स्तर पर पहुंच जाने से भारतीय कॉफी उद्योग को भारी राहत मिल रही है।
उल्लेखनीय है कि 1860 दशक के दौरान अंग्रेजों ने पश्चिमी पार के क्षेत्र में कॉफी के बागान लगाए थे। जबसे अब तक रोबस्टा कॉफी का भाव पहली बार इतनी ऊंचाई पर पहुंचा है।
दूसरी ओर अरेबिका कॉफी का दाम अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है। लगातार 15 वर्षों तक रोबस्टा कॉफी का भाव 500 से 3500 रुपए प्रति बोरी के बीच घूमते रहने के बाद इसमें तेजी का दौर शुरू हुआ था।
ध्यान देने की बात है कि अमेरिका की तुलना में रोबस्टा कॉफी की खेती पर कम खर्च बैठता है इसलिए दक्षिण भारत के छोटे-छोटे किसान पर विशेष जोर देते हैं।
वैसे वर्षा की असमान स्थिति, जंगली जानवरों के आयात, बढ़ते नागरिक खर्च तथा अन्य माध्यमों से होने वाले नुकसान के कारण रोबस्टा कॉफी की उत्पादकों को भी अनेक चुनौतियों एवं समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
चिकमगलूर (कर्नाटक) के उत्पादकों का कहना है कि उसने अपने में भी नहीं सोचा था कि रोबस्टा कॉफी का भाव 10,000 रुपए की सीमा तक पहुंचेगा।
अनेक उत्पादक अपने स्टॉक के कुछ भाग की बिक्री कर चुके हैं लेकिन अब स्टॉक को रोकना शुरू कर दिया है क्योंकि उन्हें आगे इसका दाम कुछ और बढ़ने का भरोसा है।
कोडागू प्लांटर्स एसोसिएशन के चेयरमैन ने कहा कि मांग एवं आपूर्ति के बीच अंतर बढ़ने से कीमतों में तेजी आई है। मौसम की प्रतिकूल स्थिति के कारण दुनिया के प्रमुख उत्पादक देशों में रोबस्टा कॉफी का उत्पादन घट गया है।
वियतनाम एवं इंडोनेशिया जैसे अग्रणी उत्पादक देशों में रोबस्टा कॉफी के उत्पादन में भारी गिरावट आने का एक और कारण यह है कि वहां उत्पादकों ने दूसरी फसलों की खेती पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है। कॉस्मैटिक्स उद्योग में कॉफी की मांग बढ़ती जा रही है।
भारत में करीब 83 प्रतिशत कॉफी का उत्पादन कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में होता है। कुल उत्पादन में अकेले कर्नाटक का योगदान 70 प्रतिशत के करीब रहता है मगर हाल के वर्षों में वहां भी उत्पादकों की चुनौतियां बढ़ी हैं। कुशल मजदूरों का अभाव है।
बांग्ला और आसाम के पास बागानों से मजदूर आते मगर उसका पारिश्रमिक बहुत ऊंचा होता है। इस बार रोबस्टा कॉफी का दाम उछलने से उत्पादकों को लाभ मिल रहा है।