iGrain India - हैदराबाद । यूं तो देश भर के 150 प्रमुख बांधों एवं जलाशयों में लगभ 27 वें सप्ताह पानी का स्तर घट गया मगर आंध्र प्रदेश में यह गिरावट ज्यादा देखी गई।
आंध्र प्रदेश के चार जलाशयों में पानी का स्टॉक घटकर कुल भंडारण क्षमता के 5 प्रतिशत से भी नीचे आ गया है। एक जलाशय तो पहले ही पूरी तरह सूख चुका है।
जो दो जलशय आंध्र प्रदेश के साथ तेलंगाना में पानी की कमी को पूरा करता है उसमें दो एक जलाशय- नागार्जुन सागर में महज 1 प्रतिशत पानी बचा हुआ है।
कुल मिलाकर आंध्र प्रदेश में भंडारण क्षमता के सिर्फ 7 प्रतिशत पानी का स्टॉक बचा हुआ है। इससे ने केवल वहां पेयजल के लिए संकट बढ़ गया है बल्कि ग्रीष्मकालीन फसलों की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाना संभव नहीं हो रहा है।
आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना के संयुक्त जलाशयों में केवल 3 प्रतिशत पानी का स्टॉक बचा हुआ है। राज्य के सभी बड़े एवं माध्यम जलशय में पानी का भंडार घटकर काफी नीचे आ गया है जबकि भूजल एवं भूमिगत जल के स्तर में पहले ही भारी गिरावट आ चुकी है।
वहां जल्दी ही पानी के लिए हाहाकार मचने की आशंका है। जून 2023 से अब तक राज्य में भूमिगत जल के स्तर में 2 मीटर की भारी गिरावट दर्ज की जा चुकी है।
मार्च 2024 में औसतन जमीन के नीचे 10.85 मीटर की गहराई पर पानी मिल रहा है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 20 मार्च 2024 तक राज्य में फसलों का कुल क्षेत्रफल 16.76 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जो सामान्य औसत बिजाई क्षेत्र 22.38 लाख हेक्टेयर से काफी कम था।
राज्य के सभी 26 जिलों में फसलों के रकबे में गिरावट आने की सूचना मिल रही है। धान का उत्पादन क्षेत्र घटकर 5.64 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया जो 7.91 लाख हेक्टेयर के सामान्य औसत क्षेत्रफल से काफी कम था।
आंध्र प्रदेश में जायद सीजन (ग्रीष्मकालीन) की फसलों का भी उत्पादन होता है लेकिन कई क्षेत्रों में पिछले तीन-चार साल से इसकी खेती बंद है।
पानी की कमी से वहां खेती पर असर पड़ रहा है। अब किसानों का ध्यान आगामी खरीफ सीजन और मानसून की वर्षा पर केन्द्रित है।