iGrain India - जकार्ता । दुनिया के सबसे प्रमुख पाम तेल उत्पादक देशों- इंडोनेशिया एवं मलेशिया में इस महत्वपूर्ण वनस्पति तेल के उत्पादन में कारणों से ठहराव आने लगा है जिससे वैश्विक बाजार में आने वाले समय में इसका अभाव उत्पन्न होने की आशंका है।
पाम तेल के वैश्विक उत्पादन एवं निर्यात में दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों का योगदान 85-90 प्रतिशत के आसपास रहता है। मगर वहां पाम के पेड़ पुराने होने जा रहे हैं और नए बागान लगाने के लिए ज्यादा भूमि नहीं है।
लेकिन दक्षिण-पूर्व एशिया से हजारों मील दूर- लैटिन अमरीका में स्थिति भिन्न है। वहां कोलम्बिया एवं ग्वाटेमाला जैसे देशों में बड़े पैमाने पर पाम के नए-बागान लगाए जा रहे दिलचस्प तथ्य यह है कि इन देशों में पाम की प्रति हेक्टेयर औसत उपज दर दक्षिण-पूर्व एशिया का भारी उत्पादन हो सकता है।
पाम के लगातार बढ़ते उत्पादन से इन देशों में नई-नई क्रशिंग-प्रोसेसिंग इकाइयां स्थापित हो रही है और पाम तेल के उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है।
यूरोपीय संघ ने जंगलों के सफाए एवं वृक्षों की कटाई से खाली किए गए खेतों या स्थानों पर लगाए गए पाम के बागान से उत्पादित पाम तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है जिसे देखते हुए कोलम्बिया एवं ग्वाटेमाला जैसे देशों में सेटेलाइट एवं जियो लोकेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके पाम बागानों के लिए क्षेत्रफल की तलाश की जा रही है ताकि पाम तेल की आपूर्ति श्रृंखला का पूरी तरह पता चलता रहे और इसके निर्यात में किसी तरह की बाधा न पड़े।
जानकारों के कहना है यदि कोलम्बिया एवं ग्वाटेमाला में पाम में पाम की खेती का विकास-विस्तार जारी रहा तो लैटिन अमरीका के अन्य देश भी इसकी तरफ तेजी से आकर्षित हो सकते है।
इसका दायरा मैक्सिको से लेकर उरुग्वे, पराग्वे, चिली एवं अर्जेन्टीना से लेकर ब्राजील तक फैल सकता है। इससे आने वाले समय में पाम तेल के वैश्विक निर्यात बाजार पर इंडोनेशिया एवं मलेशिया की बादशाहत को गंभीर चुनौती मिल सकती है।
इंडोनेशिया में बायो डीजल निर्माण में पाम तेल के उपयोग का स्तर काफी बढ़ा दिया गया है।