iGrain India - नई दिल्ली । नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों से संकेत मिलता है कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान देश से बासमती चावल का निर्यात मात्रा और आय- दोनों ही दृष्टिकोण से एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
एपीडा की रपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 के 11 महीनों में देश से 46.70 लाख टन से कुछ अधिक बासमती चावल का निर्यात हुआ जिससे 5.20 अरब डॉलर से ज्यादा की आमदनी हुई।
किसी भी वित्त वर्ष के आरंभिक 11 महीनों के लिए यह सबसे ऊंचा निर्यात आंकड़ा है। जब मार्च 2024 का आंकड़ा इसमें जुड़ेगा तब कुल निर्यात बढ़कर ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है।
लेकिन मध्य पूर्व एशिया में तनाव के जो हालात बन रहे हैं उससे आगामी महीनों में भारतीय बासमती चावल का निर्यात प्रभावित हो सकता है। ईरान इसके सबसे प्रमुख खरीदारों में शामिल है जिसका इजरायल के साथ विवाद काफी बढ़ गया है।
ध्यान देने की बात है कि भारत से 70 प्रतिशत से अधिक बासमती चावल का निर्यात मध्य-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया या खाड़ी क्षेत्र के देशों में होता है जिसमें ईरान, सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन , जोर्डन, कुवैत एवं अन्य देश शामिल हैं।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार लाल सागर क्षेत्र में हूती विद्रोहियों तथा हिन्द महासागर में सोमालिया के समुद्री लुटेरों की हरकतों से भारतीय बासमती चावल के निर्यातक पहले से ही चिंतित हैं जबकि ईरान- इजरायल विवाद ने टेंशन और बढ़ा दिया है।
यदि लम्बे समय तक यह विवाद जारी रहा तो भारतीय निर्यातकों की कठिनाई बढ़ सकती है। पूरे हालात पर शहरी नजर रखी जा रही है। फिलहाल यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि बासमती चावल के निर्यात पर इसका कितना असर पड़ेगा।
समीक्षकों का कहना है कि मध्य-पूर्व एशिया में बढ़े तनाव से चावल के निर्यात एवं भाव में इजाफा हो सकता है। अभी ईरान तथा इराक में चावल का अच्छा खासा स्टॉक मौजूद है
लेकिन खाड़ी क्षेत्र के अन्य देश और खासकर सऊदी अरब, ओमान, कतर तथा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में चावल का स्टॉक कम है इसलिए ये देश जल्दी से जल्दी भारत से चावल का आयात बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं।