iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार उच्च श्रेणी की रूई के परीक्षण हुए देश के छह राज्यों- महाराष्ट्र, गुजरात पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में सुविधा सम्पन्न प्रयोगशाला स्थापित करने की योजना बना रही है।
सरकार का उद्देश्य भारतीय कस्तूरी कपास को एक ग्लोबल ब्रान के तौर पर उभारने का है और प्रयोगशाला की स्थापना का प्लान उसका ही एक हिस्सा है।
इन प्रयोगशालाओं की स्थापना भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की परीक्षण सुविधाओं के समवेश के साथ की जाएगी जिससे राष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्ता मानकों के साथ सामंजस्य सुनिश्चित की सके।
दरअसल भारत सरकार का इरादा 'सुपीमा' एवं गीजा' जैसे वैश्विक कॉटन ब्रांडों के साथ कस्तूरी ब्रांड को प्रतिस्पर्धी बनाने का है। ये वैश्विक कॉटन ब्रांडों के साथ साथ कस्तूरी ब्रांड को प्रतिस्पर्धी बनाने का है। ये वैश्विक कॉटन ब्रांड अपने सॉफ्टनेस, स्ट्रैन्थ तथा ड्यूरेविलिटी (टिकाऊपन) के लिए जाने जाते हैं।
हालांकि भारत कपास के अग्रणी उत्पादक देशों में शामिल है लेकिन इसने हाल ही में अपने कॉटन की ब्रांडिंग आरंभ की है। संसार में कपास का सबसे ज्यादा क्षेत्रफल भारत में रहता है।
भारत, चीन और अमरीका कपास के तीन सबसे प्रमुख उत्पादक देश हैं। मिस्र आने गीजा- कॉटन ब्रांड को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत स्थिति में पहुंचाने में सफल रहा है जबकि वहां इसका वास्तविक एवं वार्षिक उत्पादन महज 10 लाख गांठ के आसपास रहता है।
भारतीय कस्तूरी ब्रांड की रूई की क्वालिटी को उच्च स्तर की सीमा महज 2 प्रतिशत रखी गई है। अब तक कस्तूरी कपास को समर्पित कोई विशिष्ट प्रयोगशाला नहीं थी। जब यह नई प्रयोगशालाएं स्थापित हो जाएंगी तब इसकी क्वालिटी के मानक को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के अनुरूप रखने में काफी सहायता मिलेगी।